सोमवार व्रत के नियम - क्या हैं? 🤔😍 | जानिए- सोमवार व्रत के नियम व व्रत विधि | Somvar Vrat Ke Niyam

सोमवार व्रत के नियम - क्या हैं ? 😍🤔 | जानिए- सोमवार व्रत के नियम व व्रत विधि |  Somvar Vrat Ke Niyam 

ज्योतिष व हिंदू धर्म के अनुसार महीनों के सातों दिन नव ग्रहों को समर्पित हैं। सामान्यतः नवग्रह भी भगवान नारायण के ही अवतार माने जाते हैं। तथापि सप्ताह के सातों दिन विशेष देवताओं को समर्पित किए जाते हैं। 

सप्ताह के 7 दिनों में सोमवार का विशेष महत्व है। सोमवार भगवान शिव का प्रिय वार कहलाता है। इस दिन पूजा करने का सहस्त्र गुना फल मिलता है। भगवान शंकर की जटाओं में चंद्रमा विराजमान है। चंद्रमा का ही दूसरा नाम सोम भी है। 

सोम शब्द का सामान्य अर्थ होता है- सहज, शीतल, शांत आदि। एक ओर जहां नवग्रहों में सोमवार चंद्र ग्रह (देव) को समर्पित किया गया है। वहीं चंद्रमा भगवान शंकर के मस्तक व जटाओं के मध्य में विराजमान रहते हैं। 

अतः सोम भगवान शंकर को भी कहा जाता है। यही कारण है कि प्रायः सोमवार का व्रत भगवान शंकर के लिए रखा जाता है। विशेष रूप से नारी शक्ति अथवा कुमारी बालिकाएं इस व्रत को रखती हैं। भगवान शंकर सोमवार व सोम के स्वामी हैं। 

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इसीलिए उनको सोमनाथ, सोमेश्वर आदि भी कहा जाता है। शास्त्रों में सोमवार के व्रत को सोमेश्वर व्रत भी कहा गया है। शिव और शक्ति का प्रेम अनादि व अन्तरहित है। 

अतः अटूट प्रेम की प्राप्ति के लिए, पुरुष को अनन्त प्रेम करने वाली स्त्री की प्राप्ति के लिए, स्त्री को सदैव प्रेम करने वाले पति की प्राप्ति के लिए सोमवार का व्रत अवश्य रखना है। सोमवार के व्रत व शिव शक्ति से जुड़ी अति रहस्यमयी कथाएँ पुराणों में वर्णित हैं। 

यदि आप भी शक्ति सहित, देवों के देव महादेव शंकर के प्रिय वार- सोमवार का व्रत रखते हैं या रखना चाहते हैं तो सोमवार व्रत के नियम अवश्य जानें। भगवान शंकर क्षणभर में प्रसन्न हो जाते हैं और क्षणभर में नष्ट हो जाते हैं। 

अतः श्रीमहेश्वर शंकर क्षणे रुष्टः, क्षणे तुष्टः कहा जाता है। यही कारण है कि सोमवार व्रत के नियमों का पालन करना बहुत जरूरी है ताकि भगवान शंकर अति शीघ्र प्रसन्न हो जाने पर अपने भक्तों पर खूब कृपा करें। आइये, जानते हैं- सोमवार व्रत के नियम व शिव शक्ति से जुड़े रहस्य।

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सोमवार व्रत के नियम - क्या हैं? 🤔😍 | जानिए- सोमवार व्रत के नियम व व्रत विधि |  Somvar Vrat Ke Niyam


सोमवार व्रत व शिव शक्ति से जुड़े अद्भुत रहस्य

समस्त ब्रह्माण्ड के आदि देव मदमहेश्वर, देवों के देव महादेव, आदि शक्ति के द्वारा पूजित वंदित, श्रीशंकर, सबका कल्याण करने वाले, परम योगी योगीनाथ, भगवान शिव का प्रिय वार है- सोमवार। शिव कैलाशों के वासी,,,, शंकर संकट हरना। 

सभी संकटों को हर देने वाले, हर हर महादेव कहलाने वाले-भगवान शंकर और सृष्टि के मूल, ब्रह्मांड की आदि शक्ति, जगजननी पार्वती के प्रेम का प्रतीक है- सोमवार।  आइये, भगवान शिव व शक्ति के द्वंद्वपादपद्म चरणों में अपने तन, मन बुद्धि को अर्पित करते हैं।

शिव है शक्ति, शक्ति ही शिव है। 

शिव है शव वो शक्ति बिना जो। 

शिव गौरा का आदि न अन्ता

प्रेम उदधि की कारण- गंगा।।

 

हे शिव शंकर, हे शक्तीश्वर!

गौरा शिव हे द्वंद्वविहीना

द्वंद्वविमूले द्वंद्वस्वरूपा।

सोमेश्वर हे तव पद धीना।


शक्तीश्वरी का अन्त न मूला

कारणकार्यनिमूलनमूला।

हे भवनाथ दिगंबर रूपा

हे भवस्वामिनि! शिव की मूला।।

 

करूँ सदा मैं ध्यान तुम्हारा

जपूँ निरन्तर नाम तुम्हारा

रत्नजड़ित सिंहासन अर्पित

बाघाम्बर हे, गौरा संगा।।

शिव गौरा का आदि न अन्ता

प्रेम उदधि की कारण गंगा।।


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उपरोक्त पद्यावली (भजन) शिवशक्तिचरणरज अभिलषित कवि सन्दीप कोठारी द्वारा गुंथित है। यदि आप भी अपने प्रिय किसी भी विषय पर कोई कविता, भजन, पद्यावली, संगीतमय प्रस्तुति लिखवाना चाहते हों तो- राष्ट्रीय कवि संदीप कोठारी जी से सहजतया सम्पर्क कर सकते हैं। आइये, आज के इस विषय- सोमवार व्रत के नियम‌ व शिव शक्ति से जुड़े रहस्य को आगे बढाते हैं। 


शिव व ❤ शक्ति तथा सोमवार से जुड़ी एक पौराणिक कथा अति प्रसिद्ध है कहा जाता है कि सोमवार के दिन ही आदि शक्ति मां पार्वती ने भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए सोलह सोमवार व्रत करने का निश्चय किया था। 

मां शक्ति किस सोलह सोमवार व्रत करने से भगवान शंकर अत्यंत प्रसन्न हुए और जगत जननी मां पार्वती को वरदान मांगने को कहा पार्वती मैया ने भगवान शंकर से एक ही वरदान मांगा कि मैं आपको पति के रूप में प्राप्त करूं। 

सुर असुर, दैत्य दानव, यक्ष किन्नर राक्षस आदि सबको वरदान देने वाले भगवान करुणानिधान, मदमहेश्वर शंकर ने पार्वती मैया को - तथास्तु कहते हुए बड़ी प्रसन्नता पूर्वक यह वरदान दे दिया जिसके फलस्वरूप लोक में भी शिव शक्ति का अटूट प्रेम अमरता को प्राप्त हुआ। 

यही कारण है कि सोमवार का व्रत सभी स्त्रियों को व सभी पुरुषों को अवश्य रखना चाहिए। भगवान शिव और शक्ति की असीम अनुकंपा प्राप्ति के लिए सोलह सोमवार व्रत रखने का विधान है।  

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सोमवार व्रत के नियम - क्या हैं? Somvar Vrat Ke Niyam

प्रातः काल उठ कर अपने हाथों का दर्शन करते हुए, भगवान शंकर का स्मरण करें एवं उनकी अर्धांगिनी मां पार्वती का नाम संकीर्तन करें। 

अपनी शौच इत्यादि क्रियाओं से निवृत्त होने के बाद भगवान गौरा शंकर के मंदिर में जा कर अथवा घर पर ही भगवान शंकर की प्रतिमा फोटो आदि के सामने गंध, तिलक, चंदन अक्षत,बिल्वपत्र आदि से शिव व गौरा का पूजन करें। 

पूजन करने से पहले अपने हाथ में जल लेते हुए मां गौरा एवं भोले शंकर को यह संकल्प छोड़ें- कि

हे उमामहेश्वर! हे आदिशक्ति के अधिपति, मैं आपके चरणों मैं रहने का इच्छुक, आज इस आपके प्रिय सोमवार के दिन आपकी आदिशक्ति मां गौरा सहित आपके इस प्रिय व्रत का अनुष्ठान कर रहा हूँ। हे महेश्वर, हे आदिशक्ति, हे उमावल्लभ महेश्वर, मुझ पर सदैव अनंत कृपा बनाए रखना।


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प्रातः काल भगवान शंकर व गौरा मैया का यथाभक्ति यथाशक्ति पूजन करें और पूरे दिन अपने शरीर की आवश्यकता अनुसार निराहार अथवा जलाहार या फलाहार में रहें भगवान शंकर को अभिषेक करवाएँ। 

हो सके तो किसी ब्राह्मण आदि को बुलाकर के भगवान शिव शक्ति का रुद्राभिषेक करें। संध्या काल में भगवान शंकर की आरती एवं भजन संध्या इत्यादि अवश्य करें। इस प्रकार यह व्रत सोलह सोमवार तक कर सकते हैं। 

सोमवार व्रत तीन प्रकार के होते हैं। सभी प्रकार के व्रतों में इन्हीं नियमों का पालन करना अनिवार्य होता है। शिव और शक्ति के अटूट प्रेम कृपा प्राप्ति के लिए भगवान शिव और शक्ति के संगीतमय भजन अवश्य गाएँ। हो सके तो सोमवार के दिन संध्या के समय, शिव शक्ति की असीम कृपा प्राप्ति हेतु भजन संध्या कार्यक्रम अवश्य करवाएँ। 

यदि आप अपने घर आदि में किसी भी प्रकार की संगीतमय प्रस्तुति करवाना चाहते हों तो हमें 7060112868 इस नम्बर पर व्हाटसप या काॅल करें। भागवत वक्ता, ज्योतिषी, व्याकरणविद् प्रथित कवि व लेखक, संगीतज्ञ भजन व गजल गायल श्रीश्री सन्दीपकोठारी (शास्त्री आचार्य/PHD) - व्हाटसप संख्या- 7060112868


प्रेम व भक्ति में तन्मय होकर- कहिए,, शिव कैलाशों के वासी,,,,😍❤❤शंकर संकट हरणा।। जै गौराशंकर की ❤❤🙏

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