वकील कितने प्रकार के होते हैं- जानिए पूरी जानकारी | Vakil Kitne Prakar Ke Hote Hain

Vakil Kitne Prakar Ke Hote Hai – वकील समाज के एक प्रतिष्ठित पद है जो कानून व्यवस्था को अच्छे से समझता है। इस वजह से जब किसी व्यक्ति को अपराध के खिलाफ आवाज उठानी होती है या किसी परेशानी पर सरकार से शिकायत करनी होती है तो हम वकील की मदद लेते है। लेकिन आपको बता दें कि अलग-अलग तरह के केस लड़ने के लिए अलग-अलग तरह के वकील होते हैं।


किसी भी देश में विभिन्न प्रकार के नियम होते है, एक साधारण व्यक्ति में देश के सारे नियम कानून को याद रखने की क्षमता नहीं होती है। इसके कारण उस व्यक्ति को अपनी बात सरकार के समक्ष रखने में परेशानी हो सकती है इसलिए अलग-अलग प्रकार के वकील को कोर्ट के द्वारा नियुक्त किया जाता है। अलग-अलग तरह की परेशानी के लिए अलग-अलग प्रकार के वकील होते हैं इसलिए पता होना चाहिए कि वकील कितने प्रकार के होते हैं।   


आज के लेख में हम आपको बताएंगे कि एक वकील की क्या जिम्मेदारी होती है। इसके साथ साथ आप वकील के प्रकार, नियुक्ति प्रक्रिया, वेतन, और किस परेशानी में किस वकील की मदद लेनी चाहिए के बारे में भी समझेंगे। 

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वकील का क्या कार्य होता है

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वकील का मतलब एक ऐसे व्यक्ति से है जिसे अपनी बात रखने का अधिकार सरकार के तरफ से मिला है। एक साधारण व्यक्ति भी अपनी बात सरकार के समक्ष रख सकता है मगर अनुभव और संविधानिक नियम कानून की कम जानकारी होने के कारण उसे अपनी बात मनवाने में परेशानी हो सकती है। इस वजह से जनता की मांग को कोर्ट में रखने और निर्धारित व्यक्ति को न्याय दिलवाने का कार्य वकील को सौंपा गया है। 


वकील का कार्य मुख्य रूप से अपनें क्लाइंट को न्याय दिलवाना होता है। वकील सबसे पहले अपने क्लाइंट का केस पढ़ते है और उसके बाद भारतीय संविधान के नियम अनुसार उसे कोर्ट में फाइल करते है। सरल शब्दों में एक वकील अपने क्लाइंट की बात को कोर्ट में रखते है।


हमे अलग अलग प्रकार की परेशानी होती है और अलग अलग व्यक्ति की अलग अलग मांग होती है इस वजह से वकील भी अलग अलग प्रकार में बटे हुए है और आपको उनके प्रकार के बारे में मालूम होना चाहिए।

वकील कितने प्रकार के होते हैं, Types of Lawyer

आपको बता दें कि वकील का प्रकार व्यक्ति के परेशानी पर निर्भर करता है। क्योंकि अलग अलग तरह के केस होते है और अलग-अलग प्रकार के केस के आधार पर अलग-अलग तरह के वकील को चुना गया है।


वैसे आमतौर पर दो तरह के वकील होते है। पहला सरकारी वकील जो सरकार की तरफ से केस लड़ता है और दूसरा प्राइवेट वकील जो साधारण जनता के केस को लड़ता है। इन दोनों तरह के वकील के प्रकार केस के प्रकार पर निर्भर करते हैं जिसे नीचे सूचीबद्ध किया गया है – 


स्पोर्ट्स लॉयर (sports lawyer) 

जब हम किसी के साथ कही मैच खेल रहे है और खेल के दौरान किसी से वाद विवाद हो जाए उस परिस्थिति में हमारे केस को स्पोर्ट्स लॉयर के माध्यम से देखा जाता हैं। ऐसे केस को हैंडल करने के लिए जो हमारे स्पोर्ट्स लॉयर है उन्हे खेल से सम्बन्धित सारी जानकारियां उपलब्ध होनी चाहिए।


क्रिमिनल लॉयर (criminal lawyer)

वैसे केस जिसमे कानून का पालन न किया जाए या गैर कानूनी ढंग से कोई काम किया जाए जैसे – चोरी, डकैती, रेप, मर्डर, आदि तो वैसे केस को क्रिमिनल लॉयर को सौप दिया जाता है। आसान भाषा में अगर कोई ऐसी गतिविधि होती है जिसमें कानून को तोड़ा गया हो तो उस गतिविधि को कोर्ट के समक्ष सत्यापित करने का कार्य क्रिमिनल लॉयर को सौंपा जाता है।

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मीडिया लॉयर (media lawyer)

कई बार अखबार या टीवी न्यूज चैनल के जरिए कानून तोड़ा जाता है। अब इस कैटेगरी में काम करने वाले व्यक्ति को मीडिया कहा जाता है इस वजह से मीडिया ग्रुप के द्वारा तोड़े गए कानून पर मीडिया लॉयर कार्य करता है। 


इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी लॉयर (Intellectual property lawyers)

बौद्धिक संपदा से यदि संबंधित केस हो या उससे जुड़े वाद विवाद हो तब ऐसे केस को इंटलिक्चुअल प्रॉपर्टी मीडिया अपने तरीके से निपटारा करती है।

सरल शब्दों में अगर किसी व्यक्ति को किसी परिस्थिति में मानसिक रूप से क्षति पहुंचती है तो वह इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी लॉयर के पास जाता है। मानसिक रूप से कोई परेशानी या किसी भी प्रकार की बौद्धिक संपदा के नुकसान पर कोर्ट के समक्ष बात रखने का अधिकार इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी लॉयर के पास होता है।


फैमिली लॉयर (Family Lawyer)

अगर किसी व्यक्ति के परिवार में किसी प्रकार का वाद विवाद होता है तो पारिवारिक झगड़ों का निपटारा करने के लिए फैमिली लॉयर रखा जाता है। फैमिली लॉयर एक खास किस्म का वकील होता है जिसके पास पारिवारिक झगड़ों को सुलझाने का अनुभव होता है।


प्रॉपर्टी लॉयर (Property lawyer)

जब किसी दो पक्षों के साथ आपस में किसी जमीनी विवाद को लेकर यानी उसके प्रॉपर्टी के लिए वाद विवाद हो जाता हैं। और उसमें केस फाइल किया जाता हैं। तब इस विवाद को हैंडल करने के लिए हम प्रॉपर्टी लॉयर के पास अपना केस लेकर जाते हैं। वे ऐसे केसेज को सॉल्व करने के लिए माहिर होते हैं।


मैट्रिमोनियल लॉयर (Matrimonial lawyer)

यदि शादी विवाह में किसी तरह का वाद विवाद हो जाता है और उस स्थिति में कोई केस होता हैं, तब उस स्थिति में हमारे केसेज को मैट्रिमोनियल लॉयर देखते हैं। ऐसे लॉयर को शादी विवाह के केसेज को देखने के बारे में काफी एक्सपीरियंस होता हैं। ये ऐसे केस को देखने की स्टडी में प्रख्यात होते हैं।


टेक्स लॉयर (Tax lawyer)

अगर कोई व्यक्ति टैक्स नहीं देता है या फिर लोन चुकाने में असमर्थ होता है तो इस तरह के टैक्स और फाइनेंस से जुड़े केस को हल करने के लिए टैक्स लॉयर रखा जाता है।

सरल शब्दों में टैक्स लॉयर का काम टेक्स्ट और लोन से जुड़े अलग-अलग तरह के केस को हल करने का कार्य टैक्स लॉयर को दिया जाता है। आमतौर पर इस तरह के लॉयर बड़े बड़े बिजनेसमैन के द्वारा रखा जाता है।


प्रॉपर्टी लॉयर (Property Lawyer)

कई बार जमीन या घर जैसी अलग-अलग प्रकार की प्रॉपर्टी को खरीदने बेचने के दौरान हम विभिन्न प्रकार की परेशानी में फंस जाते है। इस तरह की परेशानी से व्यक्ति को बाहर निकालने का कार्य प्रॉपर्टी लॉयर का होता है। एक प्रॉपर्टी लॉयर हर तरह की प्रॉपर्टी की खरीद बिक्री से जुड़े केस को हल करने का कार्य करता है।


डायवोर्स लॉयर (Divorce lawyer)

शादी विवाह में किसी कारण वस पति पत्नी के रिलेशन में दरार आ जाति है और वो साथ रहने से मना कर देते हैं। तो ऐसी स्थिति में उन्हें एक दूसरे को तलाक देने में डायवोर्स लॉयर मदद करता है। डायवोर्स लॉयर का मुख्य कार्य पति पत्नी के झगड़े को खत्म करना होता है। अगर बात तलाक तक जा चुकी है तो पति पत्नी का तलाक करवाना डायवोर्स लॉयर की जिम्मेदारी होती है।

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वकील कैसे बन सकते हैं

वकील एक बहुत ही प्रतिष्ठित पद है इस वजह से इस पद तक पहुंचने की प्रक्रिया को भी काफी जटिल रखा गया है। अगर आप एक वकील के रूप में कार्य करना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको किसी भी स्ट्रीम से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करनी होगी या फिर 12वीं कक्षा पूरी करनी होगी।


इसके बाद LLB की डिग्री प्राप्त करनी होगी। बारहवीं कक्षा के बाद अगर आप एलएलबी की डिग्री प्राप्त करना चाहते हैं तो किसी अन्य ग्रेजुएशन कोर्स के साथ और डिग्री को करना पड़ेगा और इसमें कुल 5 साल का वक्त लगेगा। वहीं अगर आपने ग्रेजुएशन कर लिया है तो आपके लिए एलएलबी की डिग्री केवल 3 साल की होगी।


वकील की डिग्री हासिल करने के बाद आपको वकील के बार काउंसिल से अपना आइडेंटी कार्ड लेना होगा और उस बार काउंसिल के आइडेंटी कार्ड या लाईसेंस को दिखा कर आप कोर्ट में केस लड़ सकते हैं।

निष्कर्ष

आज इस लेख में हमने आपको सरल शब्दों में वकील के बारे में समझाने का प्रयास किया है। हमने आपको बताया कि कौन सा वकील कैसे कार्य करता है ताकि आप वकील कितने प्रकार के होते है? अच्छे से समझ सके।

इस लेख के जरिए हमने आपको वकील के सभी प्रकार और अन्य जानकारियो को सरल शब्दों में समझाया है। अगर हमारे द्वारा दी गई जानकारियों को पढ़ने के बाद आप वकील के कार्यप्रणाली और उसके प्रकार को अच्छे से समझ पाए हैं तो इसे अपने मित्रों के साथ भी साझा करें। 

 

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