राधा की मृत्यु कैसे हुई- जानिए, असली सच्चाई | Radha Ki Mrityu Kaise Hui

राधा की मृत्यु कैसे हुई- जानिए, असली सच्चाई | Radha Ki Mrityu Kaise Hui

दुनिया में सच्चे प्रेम का उदाहरण देने के लिए राधा कृष्ण को जरूर याद किया जाता है। राधा कृष्ण के प्रेम की अटूट कहानी युग युगांतर के लिए अमर है। यद्यपि राधा कृष्ण का प्रेम मिल नहीं पाया। अर्थात दोनों की शादी नहीं हो पाई। 

फिर भी प्रेम का यदि कहीं सच्चा उदाहरण मिलता है तो वह या तो शक्ति व शिव का अथवा राधा कृष्ण का। जी हां, राधा कृष्ण ही प्रेम के वे दो पुजारन थे जिन्होंने इस संसार में प्रेम के वास्तविक रूप को बताया। 

प्रेम के लिए त्याग क्या होता है- इस बात को दुनिया के सामने हमेशा के लिए अमर कर दिया। कन्हैया जब 8 साल के थे, तब राधा और कृष्ण दोनों के प्रेम की गहरी अनुभूति का मिलन हो गया था। कहा जाता है कि राधा व‌ कृष्ण का प्रेम जीवात्मा और परमात्मा का प्रेम‌मिलन है। 

नंदनंदन, मुरलीमनोहर, बंसी बजाने वाले कन्हैया को संपूर्ण ब्रह्मांड में केवल दो ही चीजें सबसे ज्यादा प्रिय थीं। एक बांसुरी और दूसरी राधा। कन्हैया की बंसी की मधुर तान से ही राधा कन्हैया की ओर खिंची चली आती थी। कभी-कभी राधा कन्हैया की बंसी को चुरा ले जाती थी। नटखट कन्हैया फिर उसको ढूंढ लेते थे। 

अतः राधा कृष्ण का प्रेम संसार को एक नई प्रेरणा देने वाला रहा है। हैरान करने वाली बात यह है कि आज हम आपको- राधा की मृत्यु कैसे हुई- यह बताने जा रहे हैं। 

राधा कृष्ण के चाहने वाले हम सभी को भले ही यह बात थोड़ा दुखद सी लगती है लेकिन यह सत्य है कि राधा कृष्ण से मिल नहीं पाई और राधा की शादी कहीं और हो गई थी। अंततोगत्वा राधा की मृत्यु भी हो गई थी। आइए जानते हैं, राधा की मृत्यु कैसे हुई- इसका पूरा रहस्य वह पूरी सच्चाई। जानने के लिए इस आर्टिकल को अंत तक पढ़ते रहिएगा।


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राधा- कृष्ण के प्रेम के अंतिम पल

वैसे तो आपने सुना ही होगा कि राधा के बिना श्याम आधा राधा ढूंढ रही किसी ने मेरा श्याम देखा राधा कृष्ण के अटूट प्रेम की अटूट गीत संगीत रस भरे गाने भजन आज भी प्रेम की राह पर चलने वालों के लिए अमृत रस के समान हैं। 

बात यह तब की है जब कृष्ण के मामा कंस ने कृष्ण और बलराम को मथुरा में बुलाया। आखरी बार राधा कृष्ण से मथुरा जाने से पहले ही मिली थी। 

मथुरा जाने से पहले कृष्ण ने अपनी प्रिया राधा से यह वादा किया था कि वह राधा को मिलने जरूर वापस आएंगे लेकिन कन्हैया अपना यह वादा पूरा न कर सके और ज्यादा कृष्ण की दो बारी मुलाकात नहीं हो सकी। 

एक ओर समय के चलते कृष्ण ने भी रुक्मणी से शादी कर ली थी तो वहीं दूसरी ओर वृंदावन से कृष्ण के चले जाने पर राधा की भी बाद में किसी यादव से शादी हो गई थी वृंदावन भी कन्हैया के बिना सूना हो गया था। 

राधा और कृष्ण का प्रेम इतना अटूट था कि यद्यपि दोनों ने विवाह कहीं और किया लेकिन वास्तविक प्रेम राधा और कृष्ण का एक दूसरे के लिए हमेशा के लिए अमर रहा एवं अमर है। इस प्रकार राधा और कृष्ण की यह प्रेम कहानी बिरहा की कहानी बन ग‌ई।


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राधा की मृत्यु कैसे हुई- जानिए, असली सच

पुराणों में राधा की मृत्यु का उल्लेख पाया गया है वही नारद पुराण में तो राधा कृष्ण का मिलन होना भी बताया गया है। यूं तो राधा ने अपना जीवन कन्हैया के बिना वैंसे ही बिता लिया था जैसे मानो जल के बिना मछली। 

तुमसे मिलने को ए मुरली वाले,

दिल के अरमा मचलने लगे हैं।

जैसे जल के बिना तड़पे मछली 

हम भी ऐसे तड़पने लगे हैं।


इस तरह कृष्ण की प्रेम दीवानी राधा ने अपना पूरा जीवन कृष्ण के प्रेम में ही अर्पित कर दिया। अंत समय में राधा कन्हैया को मिलने द्वारिका पहुंचती है। 

यहीं से राधा की मृत्यु की कहानी जुड़ जाती है। द्वारिका पहुंचने के बाद राधा अपने प्रियतम कृष्ण से मिलकर प्रेम आंसू बहाती है। वह अपने कन्हैया को बंसी बजाने के लिए कहती है। इस तरह द्वारिका में राधा काफी समय कृष्ण के साथ गुप्त रूप से रहने लगती है। 

बाद में राधा को एक दिन अचानक कन्हैया से दूर जाने का मन होने लगा। अर्थात राधा को यह लग गया था कि अब कृष्ण को पाने के लिए मुझे फिर से कन्हैया के हृदय में अपना स्थान स्थापित करना होगा। 

तब राधा दूर जंगल की ओर चली जाती है और कन्हैया को बुलाती है। अंतिम बार राधा अपने प्रियतम कन्हैया से मिलते हुए प्रेम में डूबती जाती है। कन्हैया राधा को कुछ मांगने के लिए कहते हैं लेकिन राधा मना कर देती है। कन्हैया के दोबारा कहने पर राधा कन्हैया से बंसी बजाने की मांग करती है। 

इस प्रकार कन्हैया बहुत ही मधुर धुन में बंसी की तान सुनाने लगते हैं और राधा कन्हैया की बंसी में सुध-बुध बिसराती हुई, तन मन खोती हुई अपने को समर्पित कर देती है। 

राधा कृष्ण में ही विलीन हो जाती है और उसके प्राण कृष्ण में ही समा जाते हैं। इस प्रकार राधा की लौकिक लीला कृष्ण के हृदय स्थल में जाकर समा जाती है।

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