मकर संक्रांति क्यों मनाया जाता है - रहस्य व चमत्कारिक बातें

मकर संक्रांति क्यों मनाया जाता है - रहस्य व चमत्कारिक बातें

हिंदू धर्म में समय-समय पर अनेक अनेक पवित्र त्योहार मनाए जाते हैं। जिनमें से मकर संक्रांति एक विशेष पर्व है सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में गमन को ही संक्रांति के रूप में जाना जाता है। 

एक राशि से दूसरी राशि के बीच का समय सौरव होता है 1 वर्ष में लगभग 12 संक्रांति होती हैं जिनमें से मेष संक्रांति करके संक्रांति एवं मकर संक्रांति त्योहार के रूप में मनाई जाती है। मकर संक्रांति का पौराणिक दृष्टि से अथवा हिंदू धर्म शास्त्रों की दृष्टि से अत्यंत विशेष महत्व है। मकर संक्रांति उत्तरायण का द्योतक है। 

सूर्य दक्षिण की ओर से उत्तर की तरफ प्रवेश करने लगता है जो कि देवताओं का दिन का शुभारंभ करता है। मकर संक्रांति क्यों मनाया जाता है, इसके पीछे क्या सांस्कृतिक एवं पौराणिक रहस्य हैं, आज के इस लेख में हम आपको मकर संक्रांति से जुड़ी कुछ रहस्यमई बातें बता रहे हैं। 


इसे भी दबाएँ-  बुद्धि को तेज करने वाला शक्तिशाली सरस्वती मंत्र 💚

इसे भी दबाएँ-  क्या औरतों को शनिदेव की पूजा करनी चाहिए या नहीं 💚


मकर संक्रांति क्यों मनाया जाता है - रहस्य व चमत्कारिक बातें


इसे भी दबाएँ-  महामृत्युंजय मंत्र में छिपा है सभी समस्याओं का समाधान 💚

इसे भी दबाएँ-  सभी ग्रहों की शान्ति का अचूक असरदार उपाय 💚


मकर संक्रांति क्या है?

हिंदू धर्म में विभिन्न प्रकार के त्यौहार समय-समय पर बनाए जाते हैं। अन्य त्योहारों की भांति मकर संक्रांति भी अपने आप में एक विशेष है। सूर्य का मकर राशि में प्रवेश करना ही मकर संक्रांति कहलाता है। 

सामान्य रूप से केवल राशि भविष्य मकर संक्रांति त्योहार शुरू होता है लेकिन धार्मिक मान्यताओं एवं पौराणिक दृष्टि से मकर संक्रांति कोई विशेष महत्व दिया जाता है। अतः यह त्योहार पूरे भारत में विभिन्न नामों से विभिन्न प्रकार से मनाया जाता है। 


मकर संक्रांति के अलग-अलग रूप

मकर संक्रांति एकमात्र ऐसा पर्व है जो कि पूरे भारत में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। उत्तर पूजा फिर दक्षिण पूर्व या फिर पश्चिम चारों कोनों में मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। 

उत्तर प्रदेश उत्तराखंड आदि उत्तरी राज्यों में मकर संक्रांति का पर्व उत्तरायण एवं मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता है। वहीं दक्षिण में तमिलनाडु आदि राज्यों में मकर संक्रांति को पोंगल नाम से भी जानते हैं। 

उत्तर प्रदेश में मकर संक्रांति को खिचड़ी पर्व भी कहते हैं। जिस दिन खिचड़ी आदि बनाई जाती है और बहुत ही धूमधाम से स्नान आदि का आनंद लिया जाता है।


रात भर राजस्थान में मकर संक्रांति के लिए पतंग उड़ाने का एक विशेष प्रचलन चला आ रहा है।  कहा जाता है कि भगवान राम ने भी मकर संक्रांति के पर्व पर पतंग उड़ाई थी। अतः सब पतंग उड़ाना मकर संक्रांति के दिन बहुत शुभ माना जाता है। 


आंध्र प्रदेश में मकर संक्रांति को 3 दिन पहले से ही खूब धूमधाम से मनाया जाता है। 


महाराष्ट्र में तिल एवं गजब के लड्डू बनाकर के अपने सगे संबंधियों को उपहार देते हुए इस पर्व का आनंद लिया जाता है। 


पश्चिम बंगाल में हुगली नदी के किनारे गंगासागर में बहुत बड़े मेला का आयोजन किया जाता है और मकर संक्रांति के पर्व को बहुत ही पवित्र का के साथ आयोजित किया जाता है।


इसे भी दबाएँ-  हनुमान चालीसा के समझ लो रहस्य, हनुमान चालीसा परिचय, पुस्तक PDF 💚

इसे भी दबाएँ-  सृष्टि की रचना कैंसे हुई- पढें पुरुष सूक्त ज्योतिष

इसे भी दबाएँ-  Ram Raksha Stotra PDF (राम रक्षा स्तोत्र चमत्कारिक) 💚


मकर संक्रांति क्यों मनाया जाता है - रहस्य

अगर संक्रांति का पावन पर्व भगवान सूर्य देवता को समर्पित है। विशेष रूप से यह त्यौहार सूर्य से ही संबंध रखता है। भगवान सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो देवताओं का दिन होता है। कहा जाता है कि देवताओं के दिन में यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो उसे स्वर्ग की प्राप्ति होती है और आत्मा को किसी भी प्रकार का इंतजार नहीं करना होता है। 

वहीं यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु दक्षिणायन में होती है तो आत्मा को अंधकार अर्थात देवताओं की रात में बहुत समय व्यतीत करना होता है। इस दृष्टि से मकर संक्रांति के बाद का समय उत्तरायण के रूप में मनाया जाता है जो कि धार्मिक एवं पौराणिक दृष्टि से विशेष महत्वपूर्ण है।

मकर संक्रांति पर्व को मनाने के पीछे बहुत सारे कारण हैं। मकर संक्रांति के दिन ही गंगा का धरती पर अवतरण हुआ था। 


इसे भी दबाएँ-  रुद्राभिषेक पूजन सामग्री की पूरी लिस्ट PDF 💚

इसे भी दबाएँ-  शुक्ल पक्ष में पुत्र प्राप्ति के लिए अद्भुत चमत्कारिक उपाय 💚


ज्योतिष शास्त्र की दृष्टि से मकर संक्रांति

भारतीय ज्योतिष के अनुसार सूर्य के दक्षिणायन में देवताओं की रात व सूर्य के उत्तरायण में देवताओं का दिन होता है। भारत उत्तरी गोलार्ध में स्थित है। मकर संक्रांति से पूर्व सूर्य दक्षिण गोलार्द्ध में रहता है। 

मकर संक्रांति के पश्चात सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण में प्रवेश करता है। अतः सूर्य उत्तरायण होने पर देवताओं के दिन का आरम्भ होता है। देवताओं के दिन की शुरुआत मकर संक्रांति से ही होती है। अतः मकर संक्रांति का पर्व अत्यन्त पावन एवं विशेष फलदायक होता है। 


इसे भी दबाएँ-  नौकरी पाने के लिए किस देवता की पूजा करें 💚

इसे भी दबाएँ-  बुद्धि को तेज करने वाला शक्तिशाली सरस्वती मंत्र 💚

इसे भी दबाएँ-  क्या औरतों को शनिदेव की पूजा करनी चाहिए या नहीं 💚


Post a Comment

0 Comments

Youtube Channel Image
Earn Money घर बैठे पैसे कमाएं
Click Here