Mahabharat In Hindi | Mahabharat Ke Rachyita Kaun Hai 🤔 | महाभारत के रचयिता कौन हैं | Mahabharat Kisne Likhi


Mahabharat In Hindi | Mahabharat Ke Rachyita Kaun Hai 🤔 | महाभारत के रचयिता कौन हैं | Mahabharat Kisne Likhi


सभी विद्यानुरागियों को SanskritExam वेबसाइट की तरफ से हार्दिक नमस्कार एवं हार्दिक वन्दन- अभिनन्दन! प्रिय मित्रों, यथा आप सभी परिचित हैं विगत पाठमाला में हमने महाभारत में कितने श्लोक हैं- 

महाभारत के श्लोकों‌‌ के बारें में विशेष अध्ययन किया , जो कि विभिन संस्कृत परीक्षाओं में पूछा जाता है और आपके ज्ञान के लिए भी काफी उपयोगी है। अतः पिछले लेख को अवश्य पढें। पिछले लेख को पढने के लिए यंहा देखें।

आज उसी कड़ी में हम एक रोचक रहस्यमय विषय प्रस्तुत करने जा रहे हैं- Mahabharat Ke Rachyita Kaun Hai महाभारत के रचयिता कौन हैं, महाभारत के रचयिता के बारें में रहस्यमयी जानकारी एवं महाभारत से जुड़ी रोचक बातें, जो कि आपके ज्ञान के साथ-साथ विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भी अत्यन्त उपयोगी है। 

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महाभारत एक ऐतिहासिक महाकाव्य है। यह हम सभी जानते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि महाभारत के एक लेखक नहीं बल्कि तीन-तीन लेखक थे! तो आयान्तु ! शुरु करते हैं महाभारत की महाचर्चा।


महाभारत का परिचय (Mahabharat In Hindi)

महाभारत शब्द अपने आप में एक विशाल एवं अद्भुत अर्थ को प्रकट करने वाला है। महा + भारत (महत् च इदं भारतम् इति) महाभारतम्। 

महाभारत भारतीय इतिहास को इंगित करने वाला एक महाकाव्य है। जिन विषयों का वर्णन महाभारत में मिलता है उनका वर्णन अन्यत्र कुत्रापि मिलना संभव नहीं है। जैंसे कि इसी विषय में महाभारत के लिए एक सूक्ति भी अतिप्रसिद्ध है-

यदिहास्ति तदन्यत्र यन्नेहास्ति न तत्क्वचित्।
अर्थात् जो यंहा है वही सब जगह है जो यंहा नहीं है वह अन्यत्र कंही भी नहीं है। (भावार्थ- महाभारत ही सबका सार, सबका आधार है।)


महाभारत में कुल अठारह पर्व हैं। यह विश्व का सबसे प्राचीन एक आर्षकाव्य एवं ऐतिहासिक महाकाव्य है।

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महाभारत के रचयिता कौन हैं (Mahabharat Ke Rachyita Kaun Hai) 

महाभारत के लेखक कौन हैं? महाभारत की कथा किसने लिखी? महाभारत की रचना किस भाषा में हुई थी? महाभारत के लेखक का नाम क्या था-  इत्यादि महाभारत की रचना से जुड़े बहुत सारे रोचक सवाल हर किसी के मन में होते हैं। 

तो आइये, सबसे पहले जानते हैं कि- Mahabharat Ke Lekhak Kaun Hai या Mahabharat Ki Rachna Kisne Ki

महाभारत के रचयिता भगवान वेदव्यास हैं। यह सर्वप्रचलित एवं सर्वश्रुत है। सामान्यतः महाभारत की रचना का श्रेय वेदव्यास को ही जाता है क्योंकि वेदव्यास जी ने ही महाभारत की रचना का श्रीगणेश किया। 

यंहा ध्यान देने योग्य बात यह है कि महाभारत को विशाल महाकाव्य का रूप देने में वेदव्यास के अतिरिक्त- वैशम्पायन तथा सौति नामक विद्वान का भी बड़ा योगदान है।

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जी हाँ, महाभारत संस्कृत भाषा में लिखा गया। चूंकि देवों की भाषा संस्कृत ही थी और महाभारत काल में अथवा वेदव्यास जी के समय भी भारत में संस्कृत एक जनभाषा व लोकभाषा के रूप में विख्यात थी। अतः Mahabharat Ki Rachna Kis Bhasha Me Hui- इसका उत्तर है संस्कृत भाषा में।

 
इस प्रकार महाभारत की रचना किसने की थी- इस सवाल का सीधा उत्तर है- वेदव्यास ने महाभारत की रचना की या कहें कि वेदव्यास ने ही Mahabharat Ki Katha Likhi

यद्यपि जब हम Mahabharat  Ke Lekhak Ka Naam क्या था इस प्रश्न की विशेष गहरी जिज्ञासा करते हैं तो वेदव्यास, वैशम्पायन तथा सौति तीनों का नाम देखने को मिलता है तथापि प्रारंभिक तथा गुरुत्व की दृष्टि से महाभारत की रचना का मूल श्रेय भगवान वेदव्यास को ही जाता है। 

वैशम्पायन व सौति के बारें में हम आगे इस लेख में चर्चा करेंगे। तो आइये, महाभारत की रचना तथा महाभारत के विषय में कुछ अन्य विशेष रोचक बातें भी जान लीजिए।

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महाभारत के अन्य नाम Mahabharat Ka Purana Naam
Mahabharat Ka Dusra Naam

महाभारत के आदिपर्व में ही महाभारत के लिए जयसंहिता,भारत, मोक्षशास्त्र , धर्मशास्त्र, लक्षसंहिता आदि विशेषण दिए गये हैं। इस प्रकार  महाभारत के उपरोक्त बहुत सारे नाम देखने को मिलते हैं। महाभारत की यदि रचनाकाल की ओर देखा जाए तो ईस्वी पूर्व पचम - षष्ठ शताब्दी माना जाता है।


महाभारत में कितने अध्याय हैं- महाभारत के 18 पर्व

यथा हम सभी जानते हैं कि महाभारत को पर्वों में विभक्त किया गया है। इसमें कुल अठारह पर्व (अध्याय) हैं । सभी पर्वों में विभिन्न महत्वपूर्ण आख्यान कथाएँ एवं संवाद आदि मिलते हैं । 

महाभारत का पहला पर्व- आदि पर्व से लेकर स्वर्गारोहण पर्व तक कुल अठारह पर्वों का यह महाकाव्य संस्कृत साहित्य में आधुनिक काव्यग्रंथों का उपजीव्य आधार ग्रंथ है। पर्वों को अध्याय अथवा सर्ग के रूप में भी जान सकते हैं।

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महाभारत के 18 अध्यायों का नाम

        महाभारत के 18 पर्वों का नाम

1- आदि पर्व

2- सभा पर्व

3- वन पर्व

4- विराट पर्व

5- उद्योग पर्व

6- भीष्म पर्व

7- द्रोण पर्व

8- कर्ण पर्व

9- शल्य पर्व

10- सौप्तिक पर्व

11- स्त्री पर्व

12- शान्ति पर्व

13- अनुशासन पर्व

14- आश्वमेधिक पर्व

15- आश्रमवासिक

16- मौसल पर्व

17- महाप्रस्थानिक पर्व

18- स्वर्गारोहण पर्व


पर्वों (अध्यायों) को याद करने का सूत्र -
आसव वि उभी द्रोक शसौ स्त्रीशा अआआ मौमस्व।


महाभारत के अठारह पर्वों को याद करने के लिए ट्रिकी कथा

आदि ने सभा में जाकर वन का विराट रूप देखा। उद्योग करके भीष्म, द्रोण व कर्ण की शल्यचिकित्सा की गयी। 

सौप्तिक अर्थात् सोए हुए स्री की शान्ति व अनुशासन के लिए अश्वमेध यज्ञ किया और फिर सभी आश्रमवासी बन गये। मूसलाधार बारिश होकर महाप्रस्थान किया व अन्त में स्वर्गारोहण हो गया।

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महाभारत का पहला अध्याय (पर्व) - आदि पर्व

यह महाभारत का सबसे पहला पर्व है। इस पर्व में चन्द्रवंश का वर्णन किया गया है। इसी के साथ इस पर्व में पाण्डवों की उत्पत्ति के विषय में भी बताया गया है। शकुंतला उपाख्यान एवं ययाति आख्यान इस पर्व से ही गृहीत हैं।


दूसरा अध्याय (पर्व) - सभा पर्व

सभा पर्व क्रमानुसार महाभारत का दूसरा पर्व है। इस पर्व में द्यूतक्रीडा का वर्णन किया गया है। शिशुपाल वध नामक आख्यान भी इसी से माना जाता है।


तीसरा पर्व- वन पर्व

तीसरा पर्व क्रमानुसार । इस पर्व में पाण्डवों के वनवास की घटना वर्णित है। अतः इसका नाम वन पर्व रखा गया। राजा नल और दमयन्ती की कथा भी इसी पर्व से गृहीत है। 

भगवान श्रीराम की कथा का वर्णन भी मिलता है। वनपर्व में मत्स्यावतार एवं राजा शिबी की कथा भी विद्यमान है। सत्यवान् और सावित्री का उपाख्यान भी सी पर्व में है।


चौथा पर्व- विराट

यह क्रमानुसार महाभारत का चौथा पर्व है। इस पर्व में पाण्डवों का अज्ञातवास वर्णित है।


पांचवा पर्व- उद्योग पर्व

इस पर्व में भगवान श्रीकृष्ण का सन्धि प्रस्ताव का वर्णन मिलता है।

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छठा भीष्म पर्व

हिन्दू धर्म का प्रसिद्ध ग्रंथ भगवद्गीता इसी पर्व से लिया गया है। अतः यह पर्व अति प्रसिद्ध है।


सातवां द्रोण पर्व

इस पर्व में अभिमन्यु और द्रोणाचार्य का वध होता है। इसी कारण इस पर्व का नाम द्रोण पर्व रखा गया है।


आठवां कर्ण पर्व एवं नवां पर्व- शल्य

अंगराज कर्ण का युद्ध होने के कारण इस पर्व का नाम कर्ण रखा गया। इस पर्व में अर्जुन के द्वारा कर्ण का वध भी किया जाता है। शल्य पर्व में भी कर्ण का अवशेष युद्ध वर्णन है।


दसवां सौप्तिक पर्व

सुप्त शब्द से सौप्तिक बनता है। जब  अश्वत्थामा सोते हुए पाण्डवपुत्रों का वध करता है। उसी घटना का वर्णन होने के कारण इसका नाम सौप्तिक रखा गया।


ग्यारहवां स्त्री पर्व

शोकसंतप्त स्त्रियों के विलाप का वर्णन होने के कारण इसका नाम स्त्री पर्व है।


बारहवां शान्ति पर्व

युधिष्ठिर के राजधर्म सम्बंधित प्रश्नों का भीष्म के द्वारा उत्तर देना इस पर्व की घटना है। शान्ति पर्व महाभारत का सबसे बड़ा पर्व है।

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तेरहवां अनुशासन पर्व

अनुशासन, धर्म , नीति आदि कथाओं का वर्णन होने के कारण इसका नाम अनुशासन रखा गया।


चौदहवां आश्वमेधिक पर्व

युधिष्ठिर के द्वारा किया गया अश्वमेध यज्ञ का वर्णन इसी पर्व में किया गया है।


पंद्रहवां आश्रमवासिक पर्व

इस पर्व में धृतराष्ट्र आदि का वानप्रस्थ आश्रम की ओर गमन का वर्णन है।


सोलहवां मौसल पर्व

यदुवंश के विनाश का वर्णन इसी पर्व में मिलता है।


सत्रहवां महाप्रास्थानिक पर्व

पाण्डवों की हिमालय यात्रा  का अद्भुत वर्णन किया गया है। यह पर्व महाभारत का सबसे छोटा पर्व है।


अठारहवां अन्तिम पर्व- स्वर्गारोहण पर्व

इस पर्व में पाण्डवों के स्वर्ग जाने का वर्णन मिलता है। यह महाभारत का सबसे अन्तिम पर्व है।

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महाभारत की रोचक बातें (Mahabharat Ke Rahasya In Hindi)

  • महाभारत का सबसे बडा पर्व शान्ति पर्व है।
  • महाप्रास्थानिक सबसे छोटा पर्व है।
  • भगवद्गीता महाभारत के भीष्म पर्व से ली गयी है।
  • महाभारत का अन्तिम पर्व स्वर्गारोहण है।
  • महाभारत के अन्तर्गत पंचरत्न भी हैं जो कि  इस प्रकार हैं
  1. पंचरत्न गीता
  2. विष्णु सहस्त्रनाम
  3. अनुगीता
  4. भीष्मस्तवराज
  5. गजेन्द्रमोक्ष


महाभारत का विकासकाल- तीन भागों में

महाभारत का विकासकाल तीन रूपों में वर्गीकृत किया जाता है। सबसे पहले जय नाम से ग्रंथ लिखा गया था इसमें कुल ८८०० श्लोक थे। 

इसके बाद इसी का बडा रूप भारत नाम से विख्यात हुआ जिसमें कि कुल २४००० श्लोक थे। पुनः अन्त में वैशम्पायन शिष्य सौति के द्वारा कुछ श्लोक जोडकर महाभारत बना जिसमें कि कुल १००००० श्लोक संख्या हुई।

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Mahabharat Ka Yudh (Yuddh) Kitne Din Chala

कहा जाता है कि संपूर्ण महाभारत का युद्ध 18 दिन तक चला। महाभारत हो या पुराण हर जगह 18 संख्या का बड़ा विशेष संबंध है। महाभारत में जंहा 18 पर्व हैं वंही गीता में भी 18 अध्याय, पुराणों की संख्या भी 18 है। इस प्रकार कहा जा सकता है कि 18 संख्या के मूल में कोई विशेष रहस्य तो अवश्य है।


निष्कर्ष- महाभारत के रचयिता कौन हैं

मित्रों, महाभारत के लेखक कौन हैं (Mahabharat Ke Lekhak Kaun Hain)- आज के इस लेख में हमने यंहा सभी परीक्षाओं को ध्यान में रखते हुए तथा आपके ज्ञानवर्धन हेतु महाभारत का सामान्य परिचय एवं सभी पर्वों का परीक्षात्मक प्रारंभिक परिचय प्रस्तुत किया। 

निस्संदेह यह आप सभी के लिए फलदायी व उपयोगी सिद्ध होगा। आप लोग इसका लाभ जरूर लेंवे। इसके अतिरिक्त महाभारत सम्बंधित अन्य विषयों को पढने के लिए आप निम्न लिंक पर क्लिक कर सकते हैं।

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