कवि पर कविता - श्रीवत्स सन्दीपशर्माभारद्वाजः | Poem On Poet By Sri Mr.Sandeep Kothari

कवि पर कविता - श्रीवत्स सन्दीपशर्माभारद्वाजः Poem On Poet By Mr. Shri-Sandeep Kothari 

कवि पर कविता

शब्दों को चुन-चुनकर जो तनता है।

भावों की रूहों से श्वास उनमें भरता है।

देखो कवि है ये, जो शब्दों को बुनता है।।१।।


प्रेम के धागे से माला सी पिरोता है।

गुलशन की खूशबू में पवन सा होता है।

देखो कवि है ये, जो शब्दों को बुनता है।।२।।


कबूतर दाना चुनता और कोयल गीत सुनाता है।

मानों ये भी वैंसा है जो दिल में प्रीत बहाता है।

देखो कवि है ये, जो शब्दों को बुनता है।।३।।


धागा बुनकर वस्त्र बनाता कोई रेशम तनता है।

रेशम धागा सबकी गाथा कवि ही अमर बनाता है।।

कलमसिपाही वीरों में यह ज्वाला जोश जलाता है।

देखो कवि है ये, जो शब्दों को बुनता है।।४।।


भाव उदधि तक सरिता से वह प्रेम प्रवाह बहाता है

भवसागर मध्य फिर वो ही भक्ति सेतु बन जाता है।

भक्ति भाव भगवान मध्य वह काव्य भक्त बन जाता है।

देखो कवि है ये, जो शब्दों को बुनता है।।५।।


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