शाम को शिवलिंग पर जल चढ़ाना चाहिए या नहीं- जानिए रहस्य

शाम को शिवलिंग पर जल चढ़ाना चाहिए या नहीं- जानिए रहस्य

ब्रह्ममुरारिसुरार्चितलिङ्गं निर्मलभासितशोभितलिङ्गम्। - जै शिव शंकर की, जय माँ गौरा की। प्रिय पाठकों, अक्सर क‌ई लोगों के मन में यह सवाल रहता है कि क्या शाम को शिवलिंग पर जल चढ़ाना चाहिए या नहीं, रात को शिवलिंग पर जल चढ़ाने से क्या होता है? औरतों को शिवलिंग छूना चाहिए या नहीं, शिवलिंग पर जल चढ़ाने का सही समय क्या है- शिवलिंग से जुड़े इत्यादि बहुत से सवाल हैं जो शायद आपके मन में भी हों। 


आज हम इन्हीं सवालों के उत्तर स्पष्ट करने वाले हैं। विशेष रूप से आज हम आपको शाम को शिवलिंग पर जल चढ़ाना चाहिए या नहीं - इस बात को स्पष्ट करना चाहते हैं। शिवलिंग पर जल चढाने का बहुत बड़ा महत्व है। इससे अनन्त कोटि पुण्यफल प्राप्त होता है व समस्त प्रकार के दुःख दूर होते हैं। 

सवाल यह है कि शिवलिंग पर जल चलाने का सही समय क्या है- आइये जानते हैं शिवलिंग से जुड़े रहस्य एवं शाम को शिवलिंग पर जल चढ़ाना चाहिए या नहीं


शिवलिंग पर जल चढाने का महत्व

अनादि काल से भगवान भोलेनाथ के परम लिंग रूप विग्रह अर्थात् शिवलिंग पर जल चढाने की परम्परा रही है। कहा जाता है कि जो फल शिवलिंग पर जल चढाने मात्र से मिलता है वह फल एक हजार बार जप करने से भी नहीं मिलता। 


निःसंदेह शिवलिंग पर जल चढाने से इहलौकिक एवं पारलौकिक समस्त प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। शिवलिंग पर जल चढाने की एक रहस्यमयी कथा पुराणों में मिलती हैं। जिसका उल्लेख संक्षेप में आगे किया जा रहा है।


शिवलिंग पर जल चढाने की कथा- रहस्यमयी

एक समय की बात है। प्रजापिता ब्रह्मदेव एवं जगत्पालक भगवान विष्णु में एक बहस छिड गयी। दोनों में कौन ज्यादा श्रेष्ठ है- इसी बात पर ब्रह्मा विष्णु में विवाद होने लगा। दोनों ने एक दूसरे से कहा कि हम अपनी- अपनी शक्ति का प्रदर्शन करें। जिसमें ज्यादा शक्ति होगी। वही श्रेष्ठ है। 


प्रजापिता ब्रह्म देव एवं भगवान विष्णु दोनों अपनी अपनी शक्तियों का प्रदर्शन करने लगे लेकिन दोनों की शक्ति का अंतिम‌ परिणाम नहीं निकल पाया। अचानक उसी क्षण वहाँ पर उनके सामने एक बहुत बड़ा विशालकाय प्रकाशपुंज लिंग रूप प्रकट हुआ। 

वह प्रकाशपुंज दिव्य ज्योति एवं तेज से पूरित लिंगाकार जैंसा था। उस प्रकाशपुंज ने ब्रह्म देव एवं भगवान विष्णु से कहा कि यदि तुम दोनों यह जानना चाहते हो कि तुम दोनों में श्रेष्ठ कौन है तो आओ, इस लिंगाकार प्रकाश स्तंभ के अंतिम छोर (किनारे) का पता लगाओ। जो भी इसका पता पहले लगाएगा। वही तुम दोनों में श्रेष्ठ माना जाएगा। 


प्रजापिता ब्रह्म देव एवं भगवान विष्णु दोनों ही प्रसन्नचित्त होकर उस प्रकाशपुंज के अंतिम छोर का पता लगाने गये लेकिन उनको निराश होकर वापस लौटना पड़ा। हजारों वर्षों तक भी उन्हें उसका कोई अंत नहीं मिला। जब वे वापस आये तो उस प्रकाश पुंज से ओम की ध्वनि प्रस्फुटित हो रही थी और अकस्मात उस लिंगाकार प्रकाश पुंज से देवों के देव महादेव भगवान शिव प्रकट हो गये। 


इस प्रकार ब्रह्मा विष्णु समझ गये कि हमारी जिज्ञासा ही व्यर्थ थी कि हम दोनों में कौन श्रेष्ठ है। तब ब्रह्मा विष्णु दोनों ने भगवान शिव की उस लिंग रूप में पूजा शुरु की। कहा जाता है कि यही ब्रह्माण्ड का सबसे पहला शिवलिंग था। यह कथा लिंग पुराण एवं शिवपुराण में मिलती है। इस प्रकार शिवलिंग पर जल चढाने का अत्यधिक महत्व है। आइये, जानते हैं 



शिवलिंग पर जल चढ़ाने के फायदे

शिवलिंग भगवान शिव का साक्षात् रूप है। शिवलिंग समस्त ब्रह्माण्ड का प्रतिनिधित्व करता है। शिवलिंग शिव और शक्ति का सम्पृक्त रूप है। जो भी भक्त सच्ची भक्ति से शिवलिंग पर जल अर्पित करता है, उसके लिए इस संसार में कोई भी कामना दुर्लभ नहीं होती है। 

उसकी हर मनोकामना शिवलिंग पर जल चढाने से पूर्ण हो जाती हैं। अब सवाल यह होता है कि शाम को शिवलिंग पर जल चढ़ाना चाहिए या नहीं, शिवलिंग पर जल चढाने का सही समय क्या है- आइये, जानते हैं शिवलिंग से जुड़े संदेहास्पद सवालों का जवाब।


शाम को शिवलिंग पर जल चढ़ाना चाहिए या नहीं

समाज में तरह तरह की बातें फैलने लगती हैं। बहुत से लोगों का मानना है कि शाम को शिवलिंग पर जल नहीं चढाना चाहिए लेकिन हम आपको बता दें कि भगवान शंकर के इस पवित्र शिवलिंग पर किसी भी समय जल चढा सकते हैं। यहाँ तक कि शिवरात्रि के दिन तो शुबह से पूरी रात तक ही शिवलिंग पर अन्वरत रूप से जल चढाया जाता है। 


आपने शायद भगवान शिव के क‌ई मंदिरों में चौबीसों घंटे शिवलिंग पर जल टपकते हुए भी देखा होगा। जी हाँ, बहुत से मंदिरों में शिवलिंग के ऊपर एक जल से भरा कलश रहता है। जिससे चौबीसों घंटे शिवलिंग पर जल की धारा गिरती रहती है। अर्थात् निरन्तर शिवलिंग का अभिषेक होता रहता है। 

इन सब बातों से हम आपको यही स्पष्ट करना चाहते हैं कि शिवलिंग पर किसी भी समय जल चढाया जा सकता है। हाँ, शिवलिंग पर जल चढाते वक्त अन्य कुछ विशेष नियमों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए। जिनकी चर्चा हम आगे कर रहे हैं। 


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शिवलिंग पर जल चढ़ाने का सही समय 2022

शिव लिंग पर जल किसी भी समय चढा सकते हैं। विशेष रूप से प्रत्येक सोमवार को शिवलिंग पर जल चढाने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। 

2022 की बात करें तो शिवरात्रि पर्व के दिन एवं अन्य सभी पवित्र उत्सवों में तथा प्रत्येक महीने के सोमवार को शिव लिंग पर जल अवश्य चढाना चाहिए। श्रावण मास में प्रत्येक सोमवार को भगवान शिव का जल, दूध, दही आदि पंचामृत अभिषेक करने से अनन्तकोटि पुण्यफल मिलता है। यदि आप घर बैठे- सबसे शक्तिशाली पारद शिवलिंग एवं नर्मदेश्वर शिवलिंग मंगवाना चाहते हैं तो नीचे क्लिक करें 👇


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औरतों को शिवलिंग छूना चाहिए या नहीं

यह बात वास्तव में ध्यातव्य है कि क्या महिलाएं शिवलिंग को छू सकती हैं? शास्त्रों में महिलाओं को शिव लिंग छूने का निषेध किया गया है। अर्थात् उन्हें शिव लिंग को छूना तो नहीं चाहिए लेकिन जल आदि से शिवलिंग का अभिषेक अवश्य कर सकते हैं। 

स्त्री शिवलिंग की पूजा कर कर सकती है लेकिन स्त्री दूर से ही शिवलिंग की पूजा करे- ऐंसा शास्त्रों में निर्देश दिया गया है। विशेष रूप से औरतों को शिवलिंग कब नहीं छूना चाहिए। इसके लिए निम्न बातों पर ध्यान दें।

  • पीरियड में शिवलिंग बिल्कुल न छुएं।
  • गर्भवती महिलाएं शिवलिंग का स्पर्श न करें।
  • शरीर अपवित्र तो शिवलिंग कदापि न छुएं।



शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय क्या बोलना चाहिए?

सच्ची निष्ठा एवं सच्ची भक्ति से पवित्र होकर शिवलिंग पर जल चढाना चाहिए। शिवलिंग पर जल चढाने के लिए मन व तन दोनों का पूर्ण रूप से पवित्र होना अत्यावश्यक है। 

सच्चा भक्त शिवलिंग पर जल चढाते समय किसी सामान्य मंत्र का उच्चारण मात्र करने से ही समस्त मनोवांछित फल प्राप्त कर लेता है। शिव लिंग पर जल चढाते समय निम्न मंत्रों का उच्चारण करना चाहिए।

ॐ नमः शिवाय (पंचाक्षर मंत्र)

ॐ श्री साम्बसदाशिवाय नमः

ॐ श्रीरुद्राय नमः।।

ॐ श्री शिवाय नमः। स्नानीयं जलं महाभिषेकस्नानं‌ च समर्पयामि।।



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