काव्यप्रकाश • Kavyaprakash | काव्यप्रकाश नोट्स- भाग 2 | काव्य हेतु - Kavya Hetu

काव्यप्रकाश • Kavyaprakash | काव्यप्रकाश नोट्स- भाग 2 | काव्य हेतु - Kavya Hetu 

प्रियमित्राणि, 😍 काव्यप्रकाश संस्कृत साहित्य में एक विशिष्ट व अतिप्रसिद्ध लाक्षणिक ग्रंथ है। सम्पूर्ण काव्यप्रकाश में कुल 10 उल्लास हैं। आपकी अपनी इस SanskritExam.Com वेबसाइट पर विभिन्न प्रकार की परीक्षा सामग्री उपलब्ध है। 

काव्यप्रकाश विभिन्न संस्कृत प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण विषय है। काव्य का स्वरूप, काव्य प्रयोजन, काव्य हेतु, काव्य भेद आदि विषय तो हर किसी संस्कृत छात्र को जरूर पढने चाहिए।

आज इस पाठ में हम काव्यप्रकाश के अन्तर्गत काव्य हेतु एवं काव्य भेद आदि की चर्चा करेंगे। इससे पिछले पाठ में हमने काव्यप्रकाश के अनुसार काव्य लक्षण एवं काव्यप्रयोजन, काव्यप्रकाश की टीकाएँ आदि महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा की। यदि आपने वह पाठ नहीं पढा हो तो यंहा क्लिक करें- 

यंहा क्लिक करें-  काव्यप्रकाश नोट्स- भाग 1 💚


आइये, काव्यप्रकाश नोट्स (Kavyaprakash Notes) की इस शृंखला में आज काव्य हेतु एवं काव्य भेद आदि की रोचक चर्चा करते हैं। 

काव्यप्रकाश का क्या अर्थ है? काव्यप्रकाश की व्युत्पत्ति क्या है- जब हम इस प्रश्न की जिज्ञासा करते हैं तो हमें पता चलता है कि काव्यप्रकाश का अर्थ है- काव्य को प्रकाशित करने वाला ग्रंथ। 

"काव्यं प्रकाश्यते येन सः ग्रंथ= काव्यप्रकाशः। यही काव्यप्रकाश की व्युत्पत्ति है। वैंसे इन सभी विषयों की चर्चा हम पूर्व में ही कर चुके हैं। चलिए आगे बढिए- आज के विषय पर। काव्यप्रकाश के अनुसार काव्य हेतु- इस विषय को शुरू करते हैं।


काव्य हेतु- Kavya Hetu 🤔

विभिन्न विद्वानों ने काव्य के अलग-अलग हेतु बताए हैं। इस संसार में हर वस्तु का एक कारण अवश्य होता है। कार्य और कारण दोनों का बहुत बड़ा सम्बन्ध रहता है। काव्य भी एक कार्य है। कवेः कर्म= काव्यम्। अतः काव्य के हेतु होना भी स्वाभाविक है।

आचार्य मम्मट ने अपने काव्यप्रकाश में काव्य के तीन हेतु बताए।

शक्तिर्निपुणता लोकशास्त्रकाव्याद्यवेक्षणात्।

काव्यज्ञशिक्षयाभ्यास इति हेतुस्तदुद्भवे।।


उपरोक्त श्लोक में काव्य के तीन हेतु बताए गये।

  1. शक्तिः (पहला हेतु)
  2. निपुणता (दूसरा काव्य हेतु)
  3. अभ्यास (तीसरा काव्य हेतु)


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पहला काव्य हेतु- शक्ति

आचार्य मम्मट ने काव्य का पहला हेतु शक्ति बताया। शक्ति से तात्पर्य है कि कवि में रहने वाली स्वाभाविक शक्ति। शक्ति काव्य का बीजभूत कारण है। 

उदाहरण के लिए- कालिदास आदि कवि में काव्य करने की एक स्वाभाविक शक्ति थी। काव्य लिखने के लिए एक स्वाभाविक शक्ति का होना जरूरी है। 

नहीं तो आजकल एक प्रेमी भी अपनी प्रेमिका के लिए- "चाँद सा चेहरा तुम्हारा" 😍 ऐंसा कह देता है लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वह काव्य जानता है। 

वह तो केवल समाज में सुनी हुई बात को, अपनी गर्लफ्रेंड या प्रेमीजन के सामने कह देता है। यह काव्य नहीं है। अतः शक्ति को काव्य का हेतु बताया गया। 

आचार्य मम्मट कहते हैं

शक्तिः कवित्वबीजरूपः संस्कारविशेषः यां विना काव्यं न प्रसरेतद, प्रसृतं वा उपहासनीयं स्यात्।

अर्थात् शक्ति कवित्व का बीजरूपी संस्कार विशेष है। शक्ति के बिना काव्य नहीं होता है और यदि किसी ने छोटा-मोटा काव्य शक्ति के बिना तुकबंदी में लिख भी दिया तो वह उपहास का विषय बन जाता है।


दूसरा काव्य हेतु- निपुणता

आचार्य मम्मट ने निपुणता को भी काव्य का हेतु बताया। निपुणता का अभिप्राय है कि छन्द, व्याकरण, कोश, कला आदि ग्रंथो में निपुणता (कुशलता) होना। 

उदाहरण के लिए- यदि कोई काव्य करना चाहे और उसे छन्द, व्याकरण आदि का ज्ञान न हो तो वह काव्य नहीं लिख पाएगा। अतः निपुणता भी काव्य का हेतु माना जाता है। आचार्य मम्मट कहते हैं

लोकस्य स्थावरजङ्गमात्मकस्य लोकवृत्तस्य, छन्दोव्याकरणाभिधानकोशकलाचतुर्वर्गगजतुरगखड्गादिलक्षणग्रंथानां विमर्शणात् व्युत्पत्तिः निपुणता।

अर्थात्- छन्द, व्याकरण, कोश, कला आदि के सही ज्ञान से व्युत्पत्ति को समझना ही निपुणता है।


तीसरा काव्य हेतु- अभ्यास

अभ्यास से तात्पर्य है- काव्य मर्मज्ञ गुरु आदि के उपदेशानुसार काव्य लिखने के लिए निरन्तर अभ्यास करते रहना। इस प्रकार बार-बार काव्य लिखते रहना ही अभ्यास कहलाता है। 

काव्यं कर्तुं विचारयितुं च ये जानन्ति तदुपदेशेन करणे योजने च पौनः पुन्येन प्रवृत्तिः।

अर्थात् काव्य करने के लिए बार-बार इस प्रक्रिया को दोहराते रहना ही अभ्यास है।

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काव्यप्रकाश- काव्य हेतु

इस प्रकार आचार्य मम्मट ने काव्य के तीन हेतु बताए। यंहा ध्यातव्य यह है कि जब ये तीनों कारण एक साथ हों तभी ये काव्य के हेतु माने जाते हैं।

त्रयः समुदिताः, न तु व्यस्ताः तस्य काव्यस्योद्भवे निर्माणे समुल्लासे च हेतुर्न तु हेतवः।

अर्थात् उपरोक्त शक्ति, निपुणता व अभ्यास काव्य के ये तीनों कारण जब समष्टि रूप से एक साथ विद्यमान हों तभी काव्य के हेतु कहे जाते हैं।


अन्य आचार्यों के मत में- काव्य हेतु

आचार्य मम्मट से पहले भी भामह, दण्डी, रुद्रट, वाग्भट आदि विभिन्न आचार्यों ने काव्य के हेतुओं की चर्चा की है। विभिन्न आचार्यों के अनुसार काव्य हेतु निम्न रूप में हैं।


भामह के अनुसार काव्य का हेतु प्रतिभाव है। भामह आचार्य ने प्रतिभाव को काव्य का हेतु (कारण) बताया।

काव्य तुं जायते जातु कस्यचित् प्रतिभावतः।


दण्डी आचार्य ने नैसर्गिकी प्रतिभा को काव्य का हेतु कहा है। दण्डी के अनुसार स्वाभाविक प्रतिभा ही विशेष रूप से काव्य करने में कारण है।

नैसर्गिकी च प्रतिभा श्रुतं च बहुनिर्मलम्।

अमन्दश्चाभियोगोsस्याः कारणं काव्यसम्पदः।।


रुद्रट ने मम्मट के समान ही शक्ति, निपुणता एवं अभ्यास को काव्य का हेतु बताया है।

त्रितयमिदं व्याप्रियते शक्तिर्व्युत्पत्तिरभ्यासः।


वाग्भट आचार्य ने केवल प्रतिभा को ही काव्य का मुख्य हेतु बताया। वाग्भट के अनुसार निपुणता व अभ्यास संस्कार हैं न कि काव्य हेतु।

प्रतिभैव च कवीनां काव्यकरणकारणम्।

व्युत्पत्त्यभ्यासौ तस्या एव संस्कारकौ न तु काव्यहेतू।।


काव्यप्रकाश- काव्य हेतु निष्कर्ष

आचार्य मम्मट ने अपने पूर्ववर्ती आचार्यों के मतों में सांमजस्य स्थापित करते हुए शक्ति, निपुणता एवं अभ्यास - इन तीनों को सामूहिक रूप से काव्य हेतु बताया है। 

इस प्रकार आचार्य मम्मट ने बहुत ही सरल व सरस शैली में काव्यप्रकाश नामक ग्रंथ की रचना करके काव्यजगत् में बहुत उपकार किया है।


प्रिय मित्राणि, 😍 इससे आगे का विषय- काव्य के भेद, शब्द शक्ति आदि दूसरे पाठ में दिया गया है। इसके लिए आप इस वेबसाइट के मेनूबार में Sanskrit Notes (काव्यप्रकाश नोट्स) पर जाएँ। 

आपकी जानकारी के लिए आपको बता दें कि आपकी अपनी इस SanskritExam. Com वेबसाइट पर विभिन्न संस्कृत / हिंदी प्रतियोगी परीक्षाओं हेतु बहुत सारे पकवान (सामग्री) उपलब्ध है। अतः वेबसाइट के कोने-कोने में अवश्य जाएँ। धन्यवादः। 

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काव्यप्रकाश प्रश्नोत्तरी

आयान्तु मित्राणि, काव्यप्रकाश से जुड़े कुछ रोचक एवं परीक्षा उपयोगी प्रश्नों की चर्चा कर लेते हैं।


प्रश्न 1- काव्यप्रकाश के रचयिता कौन हैं?

उत्तर- आचार्य मम्मट


प्रश्न 2- काव्यप्रकाश में कितने उल्लास हैं?

उत्तर- दस उल्लास (10)


प्रश्न 3- काव्यप्रकाश की व्युत्पत्ति क्या है?

उत्तर- काव्यं प्रकाश्यते येन सः ग्रंथः काव्यप्रकाशः।


प्रश्न 4- काव्यप्रकाश का अर्थ क्या है?

उत्तर- काव्य को प्रकाशित करने वाला ग्रंथ।


प्रश्न 5- मम्मट के अनुसार लक्षणा के कितने भेद है?

उत्तर- मम्मट के अनुसार लक्षणा के 6 भेद हैं। लक्षणा तेन षड्विधा।


प्रश्न 6- आचार्य मम्मट ने काव्य की क्या परिभाषा दी है?

उत्तर- मम्मट के अनुसार काव्य की परिभाषा- दोषरहित एवं गुणसहित शब्दार्थ को काव्य कहा जाता है, अलंकार न होने पर भी। (तददोषौ शब्दार्थौ सगुणावनलंकृती पुनः क्वापि)


प्रश्न 7- काव्यप्रकाश विश्वेश्वर कृत टीका का नाम क्या है?

उत्तर- काव्यप्रकाश सिद्धान्तशिरोमणिटीका


प्रश्न 8- काव्यप्रकाश में अलंकार कितने बताए गये?

उत्तर- मम्मट ने काव्यप्रकाश में 67 अलंकारों का उल्लेख किया है।


प्रश्न 9- काव्यप्रकाश की टीका का नाम बताइये?

उत्तर- संकेतटीका, दर्पणटीका, विरचितटीका आदि काव्यप्रकाश की टीकाएँ हैं।


प्रश्न 10- काव्यप्रकाश मंगलाचरण का परिचय दीजिये।

उत्तर- काव्यप्रकाश का नमस्कारात्मक व वस्तुनिर्देशात्मक है। काव्यप्रकाश के मंगलाचरण में आर्या छन्द है। कवि ने इस मंगलाचरण में माँ भारती सरस्वती की स्तुति की है। काव्यप्रकाश का मंगलाचरण निम्न है।

नियतिकृतनियमरहितां ह्लादैकमयीमनन्यपरतंत्राम्।

नवरसरुचिरां निर्मितमादधती भारती कवेर्जयति।।


प्रिय मित्राणि, यदि आप काव्यशास्त्र पर आधारित काव्यप्रकाश प्रश्नोत्तरी PDF प्राप्त करना चाहते हैं तो इस वेबसाइट के मेनूबार में PDF सेक्शन में जाएँ। आप सभी का धन्यवाद। अपना कमेंट व सुझाव नीचे कमेंट बक्से में रखें।

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2 Comments

  1. Bht achha notes banaya apne ..
    Kavyaprakash ki baki notes kaha milega 🙏 ?? Please bata dijiye 🙏

    ReplyDelete
  2. Thank you so much for such well understanding notes ❤️❤️

    ReplyDelete

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