महाकवि ➖ कालिदास की प्रमुख रचनाएँ 📚 - कालिदास की रचनाएँ ( Kalidas Ki Rachnaye)
फूलों 🏵 में चम्पा, नगरियों में कांची, नारियों में रम्भा, कवियों में कालिदास- सबसे श्रेष्ठ माने जाते हैं। महाकवि कालिदास को यूं कहें तो भारत का शेक्सपियर भी कहा जाता है। आज संस्कृत साहित्य को पठने वाला कोई भी ऐंसा व्यक्ति नहीं होगा जिसने कालिदास का नाम न सुना हो।
बच्चे से लेकर बूढों तक के मुख से कालिदास का नाम निकलता है। कालिदासो जने-जने कण्ठे कण्ठे संस्कृतम्। इन सब बातों को कालिदास की प्रसिद्धि का अनुसार स्वतः लग जाता है।
खेर, आज हम कालिदास की जीवन लीला की बात नहीं करेंगे अपितु आज हम चर्चा करने वाले हैं- कालिदास की प्रमुख रचनाएँ अथवा कालिदास की रचनाएँ (सभी रचनाओं के बारें में)
तथापि यदि आप कालिदास की जीवनलीला को पढने के उत्सुक हैं तो हमारे पिछले लेख को पढ सकते हैं। जिसका लिंक आपको इस लेख के अंत में मिल जाएगा। तो चलिए, जानते हैं- कालिदास की प्रमुख रचनाएँ
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कालिदास की रचनाओं का परिचय- Kalidas Ki Rachnaye
उपमासम्राट महाकवि कालिदास ने संस्कृत साहित्य में अपनी अमिट छाप छोड़ी है। मां काली के भक्त- कालिदास ने संस्कृत साहित्य विधा में तीन तरह से रचनाएँ की।
कालिदास की काव्यविधाएँ
- महाकाव्य
- गीतिकाव्य
- रूपक (नाटक)
कविकुलगुरु कालिदास ने उपरोक्त तीन विधाओं पर ही अपनी प्रमुख रचनाएं लिखी हैं। शायद कालिदास की रचनाएँ अन्य कवियों की अपेक्षा कम हों लेकिन कालिदास ने मात्र इतनी ही रचनाओं से विश्वख्याति अर्जित कर ली।
यही कारण है कि कालिदास को अनेकों उपाधियों से अलंकृत किया गया। कवियों के कुलगुरु- कालिदास, उपमा के सम्राट- कालिदास आदि-आदि।
आइये, अब हम कालिदास की प्रमुख रचनाओं के बारें में जानते हैं- kalidas ki rachnaye
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कालिदास की प्रमुख रचनाएँ (Kalidas Ki Rachnaye In Hindi)
कहा जाता है कि कालिदास ने यद्यपि संस्कृत साहित्य में काफी रचनाएँ की तथापि कविकुलगुरु कालिदास की 7 प्रमुख रचनाएँ मानी जाती हैं। कालिदास संस्कृत के एक महान कवि थे।
अतः कालिदास की प्रमुख रचनाएँ संस्कृत में लिखी गयी हैं। कविवर कालिदास की 7 सात प्रमुख रचनाएं निम्न प्रकार से हैं-
कालिदास की प्रमुख रचनाओं का विभाजन- Kalidas Ki Rachna
महाकवि कालिदास की 7 प्रमुख रचनाओं का विभाजन कुछ इस प्रकार है-
कालिदास की प्रमुख रचनाएँ- 7 | |
| रघुवंश, कुमारसंभव |
| मेघदूत, ऋतुसंहार |
| अभिज्ञानशाकुंतलम्, विक्रमोर्वशीयम्, मालविकाग्निमित्रम् |
इस प्रकार उपरोक्त कालिदास की रचनाओं का विभाजन है। आइये, अब थोड़ा कालिदास की सात प्रमुख रचनाओं के बारें में जान लेते हैं।
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कालिदास की 7 प्रमुख रचनाओं का परिचय
कालिदास की सात रचनाएँ संस्कृत जगत में अति प्रसिद्ध हैं। इन सात रचनाओं का नामोल्लेख ऊपर किया गया। आइये, अब कालिदास की सात रचनाओं के बारें में थोड़ा विस्तार से जानते हैं।
कालिदास की रचनाएँ- दो महाकाव्य
पहला महाकाव्य- कालिदास- रघुवंशम्
कालिदास ने दो महाकाव्य लिखे। जिनमें से एक का नाम रघुवंश है। रघुवंश महाकाव्य में कुल 19 सर्ग हैं। कालिदास के रघुवंश में महाराज रघु के पूरे वंश की कथा है।
दूसरा महाकाव्य- कुमार संभवम्
कालिदास की सुन्दर कला का उदाहरण है- कुमारसंभव। कुमारसंभव महाकाव्य में कालिदास ने शिव पार्वती के विवाह का तथा कार्तिकेय जन्म का सुन्दर आलंकारिक वर्णन प्रस्तुत किया है। कुमार संभव नामक महाकाव्य में कुल 17 सर्ग हैं।
कालिदास की रचनाएँ- दो खण्डकाव्य
पहला खण्डकाव्य- मेघदूत
मेघ है दूत जिसमें ऐंसे काव्य का नाम है- मेघदूत। कालिदास का मेघदूत काव्य खण्डकाव्य के अन्तर्गत आता है। खण्डकाव्य को ही गीतिकाव्य भी कहा जाता है। मेघदूत में यक्ष और यक्षिणी की विरह 💔 प्रेम कहानी का वर्णन है। इस मेघदूत को दो भागों में विभाजित किया गया है।
- मेघदूत- पूर्व भाग
- मेघदूत- उत्तर भाग
दूसरा खण्डकाव्य- ऋतुसंहार
ऋतुओं का समाहार ही ऋतुसंहार है। कालिदास ने अपने ऋतुसंहार नामक खण्डकाव्य में 6 षड्ऋतुओं का सुन्दर अलौकिक वर्णन किया है। जिस प्रकार ऋतुओं की संख्या छः है। ठीक उसी प्रकार कालिदास के इस ऋतुसंहार नामक खण्डकाव्य में भी 6 सर्ग हैं।
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कालिदास की रचनाएँ- तीन नाटक
कालिदास की प्रमुख रचनाओं में तीन नाटक भी शामिल हैं। जिनका नाम ऊपर बताया गया। यंहा उन तीनों नाटकों का परिचय दिया गया है।
पहला नाटक- मालविकाग्निमित्र
महाकवि कालिदास के तीन नाटकों में मालविकाग्निमित्र नाटक पहला नाटक है। मालविकाग्निमित्र नाटक में 5 अंक है। इस नाटक में अग्निमित्र और ❤ मालविका की प्रेम 💞 कहानी है।
मालविका एक सुन्दर सी राजकुमारी होती है जिसके रूप को देखकर अग्निमित्र मोहित हो जाता है और उसके प्रेम में डूब जाता है।
दूसरा नाटक- अभिज्ञानशाकुन्तलम्
कालिदास का अभिज्ञानशाकुन्तल नाटक दुनिया के सर्वश्रेष्ठ नाटकों में से अन्यतम है। सात अंको में विभाजित यह नाटक दुष्यन्त और शकुन्तला की प्रेम 💕 कहानी के लिए जाना जाता है।
संस्कृत साहित्य जगत में ऐंसा कोई दूसरा नाटक नहीं है। अतः संस्कृत में एक श्लोक भी कहा गया कि
काव्येषु नाटकं रम्यं तत्र रम्या शकुन्तला।
तत्रापि च चतुर्थोंsकः तत्र श्लोकचतुष्टयम्।।
तीसरा नाटक- विक्रमोर्वशीयम्
कालिदास का यह विक्रमोर्वशीयम् नाटक अत्यन्त रोचक एवं रहस्यात्मक है। इस नाटक में कुल पांच अंक हैं। विक्रम अर्थात पुरुरवा और उर्वशी की प्रेमकथा ❤ का वर्णन होने से इस नाटक का नाम- विक्रमोर्वशीयम् है।
पुरुरवा, देवलोक की अप्सरा उर्वशी से बहुत गहरा प्रेम करने लगता है। बाद में उर्वशी भी पुरुरवा के प्रेम में डूब जाती है।
कालिदास की अन्य रचनाएँ (Kalidas Ki Rachnaye)
ऊपर कालिदास की सात प्रमुख रचनाओं के विषय में बताया गया। अब सवाल यह होता है कि क्या कालिदास की केवल सात ही रचनाएं हैं या इससे अधिक? तो आइये, जानते हैं।
विभिन्न विद्वानों का मानना है कि कालिदास ने 40 से ज्यादा ग्रंथ लिखे लेकिन दुर्भाग्य यह है कि विद्वानों का वर्ग कालिदास को लेकर भी सन्देहास्पद है। कालिदास नाम के कवि भी कई हुए हैं- ऐंसा विभिन्न विद्वानों का मत है।
कालिदास ने ज्योतिष विषय पर भी दो ग्रंथ लिखे। कहा जाता है कि मां काली की कृपा से कालिदास को ज्योतिष का ज्ञान प्राप्त हुआ। कालिदास की कुछ अन्य रचनाओं का नाम नीचे दिया जा रहा है।
- उत्तरकालामृत (ज्योतिष)
- ज्योतिर्विद्याभरणम् (ज्योतिष)
- शृंगारतिकलम्
- शृंगारशतकम्
- श्यामादण्डकम् आदि।
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इस प्रकार कालिदास की बहुत सी रचनाएँ देखने को मिलती है परन्तु इसमें विद्वानों का वर्ग एकमत नहीं है।
खेर, हमारी मानें तो कालिदास का एकमात्र अभिज्ञानशाकुन्तलम् ही संस्कृत साहित्य में बहुत कुछ कह देने वाला और कालिदास की विलक्षणता को प्रकट कर देता है।
हमें उम्मीद है कि कालिदास की प्रमुख रचनाएँ- आज का यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपने बहुत कुछ नया सीखा होगा। हमें नीचे कमेंट करके अवश्य बताएं।
कालिदास का समस्त जीवन वृतान्त पढने के लिए आप इस वेबसाइट के मेनूबार में जा सकते हैं।
कालिदास की रचनाओं से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण सवाल- जवाब
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कालिदास की पहली रचना कौन सी है?
कालिदास की सबसे पहली रचना मालविकाग्निमित्रम् नाटक को माना जाता है। इस नाटक में मालविका एवं अग्नि मित्र की प्रेम लीला का वर्णन है।
कालिदास की दूसरी रचना कौन सी है?
कालिदास ने दूसरी रचना के रूप में अभिज्ञान शाकुंतलम् नाटक को लिखा। जिसके बाद कालिदास ने संस्कृत साहित्य जगत में अद्वितीय ख्याति प्राप्त की।
कालिदास के महाकाव्य की संख्या कितनी है?
कालिदास ने कुल 2 महाकाव्य की रचना की झुकी संस्कृत साहित्य जगत में अत्यंत प्रसिद्ध हैं कालिदास के दो महाकाव्य रघुवंश एवं कुमार संभव हैं।
कालिदास को भारत का शेक्सपियर क्यों कहा जाता है?
समस्त विश्व में शेक्सपियर एक प्रसिद्ध नाटककार माने जाते हैं जिनके उपमा अलंकार अद्वितीय हैं। शेक्सपियर का सामना यदि किसी ने किया है तो वह कालिदास हैं।
कालिदास को शेक्सपियर से भी महान बताया जाता है। यही कारण है कि कालिदास को भारत का शेक्सपियर भी कहा जाता है।
कालिदास को कवि गुरु क्यों कहा जाता है?
कालिदास ने बहुत कम रचनाओं में ही समस्त साहित्य जगत में अपनी एक अद्वितीय मिसाल पेश की है। कालिदास ने अपने उपमा अलंकार से तो मानो संस्कृत साहित्य जगत में एक नई क्रांति पैदा कर दी हो।
कालिदास की इसी अद्वितीय मिसाल को देखते हुए सभी कवियों में कालिदास को श्रेष्ठ बताया जाता है और उन्हें कविकुलगुरु की उपाधि भी दी गई है।
कालिदास की अंतिम रचना कौन सी है?
विद्वानों के अनुसार कालिदास की सबसे अंतिम रचना ऋतुसंहार को माना जाता है। हालांकि कई जगह कुमारसंभवम् को भी कालिदास की अंतिम रचना बताया जाता है और कहा जाता है कि इसके बाद कालिदास की लेखनी बंद हो गई थी। इस विषय में विद्वानों के बीच परस्पर मतभेद है।
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1 Comments
Very nice hmme pd ke bhut accha lag🙂🙂🙂🙂
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