अर्थशास्त्र की परिभाषा- यहां देखें | 🤔 Arthshastra Ki Paribhasha | अर्थशास्त्र किसे कहते हैं- परिभाषा

अर्थशास्त्र की परिभाषा |🤔 Arthshastra Ki Paribhasha | अर्थशास्त्र किसे कहते हैं- परिभाषा

अर्थशास्त्र किसे कहते हैं? अर्थशास्त्र की परिभाषा क्या है? अर्थशास्त्र शब्द का अर्थ क्या होता है- इत्यादि विभिन्न सवाल आपके मन में जरूर होंगे और होने भी चाहिए। हिंदू धर्म में धर्मशास्त्र, अर्थशास्त्र, कामशास्त्र व मोक्षशास्त्र चार प्रकार का शास्त्र विभाजन किया गया है। 

अर्थशास्त्र वर्तमान में भले ही इकोनोमी (Economy) आदि शब्दों के रूप में ज्यादा व्यवहृत किया जाता हो लेकिन अर्थशास्त्र का मूल संबंध प्राचीन भारतीय संस्कृत से ही है। प्रिय पाठकों, आज हम बात करेंगे- अर्थशास्त्र की परिभाषा को लेकर। 

वास्तव में अर्थशास्त्र की परिभाषा क्या है? विभिन्न विद्वानों ने अर्थशास्त्र को किस तरीके से परिभाषित किया। इत्यादि विषयों को जानना बहुत आवश्यक है। तो चलिए, जानते हैं।

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अर्थशास्त्र क्या है- What Is Arthashastra?

सबसे पहले मन में सवाल होता है कि अर्थशास्त्र होता क्या है? गूगल पर यदि आप अर्थशास्त्र टाइप करके सर्च करेंगे तो आपको मिलेगा- अर्थशास्त्र पैसे के व्यवहार की विद्या, दूसरा- राजनीतिविज्ञान (जैंसे कौटिल्य (चाणक्य) का) 

यह जवाब आपको गूगल बताता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि वास्तव में अर्थशास्त्र क्या होता है। चलिए- जान लीजिए। अर्थशास्त्र दो शब्दों से मिलकर बना है- अर्थ+शास्त्र= अर्थशास्त्र (Compound समास) 

ह एक शुद्ध संस्कृत सामासिक शब्द है। अर्थशास्त्र में अर्थ का तात्पर्य केवल धन सम्पत्ति दे नहीं बल्कि पृथ्वी का पालन पोषण, राजनीति, लोक व्यवहार आदि से भी है। 

इस प्रकार अर्थशास्त्र का मतलब होता कि ऐंसा शास्त्र जिसमें अर्थ सम्बंधित बातों के साथ साथ राजनीति, लोकव्यवहार, राजा के कर्तव्य, नैतिक व्यवहार आदि का वर्णन किया जाता है, उसे अर्थशास्त्र कहते हैं। 

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अर्थशास्त्र को अंग्रेजी में इकोनोमी (Economy), Chremastics, Plutonomy, The Dismal आदि कहते हैं। 


अर्थशास्त्र का जनक कौन है?Arthshastra Ke Janak

वर्तमान में विद्वानों का वर्ग एडम स्मिथ को भी अर्थशास्त्र का जनक कहता है लेकिन सच्चाई यह है कि मूल रूप से अर्थशास्त्र का जनक चाणक्य (कौटिल्य) को कहा जाता है। चाणक्य ने सैकडों वर्ष पूर्व अर्थशास्त्र लिख दिया था जबकि एडम स्मिथ का समय बहुत बाद का है।

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अर्थशास्त्र की परिभाषा (Arthshastra Ki Paribhasha)

विद्वानों का वर्ग शास्त्रों व उनकी परिभाषा के विषय में लड़ता- झगड़ता रहता है। सभी विद्वान प्रायः किसी एक विषय में एक मत नहीं हो पाते हैं। अर्थशास्त्र की परिभाषा को लेकर भी विद्वानों ने एक दूसरे खण्डन, मण्डन करते हुए अपनी नयी-नयी परिभाषाएं दी हैं। 

सामान्य रूप से अर्थशास्त्र वह शास्त्र है जिसमें- अर्थ (धन), राजनीति, लोकव्यवहार, नीतिशास्त्र आदि विषयों का अध्ययन किया जाता है परन्तु विद्वानों ने अपनी अलग-अलग परिभाषाएं बतायी हैं। तो आइये, दो चार प्रसिद्ध विद्वानों के अनुसार अर्थशास्त्र की परिभाषा जान लीजिए। जाना रहेगा तो काम आएगा।

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चाणक्य के अनुसार अर्थशास्त्र की परिभाषा

प्राचीन अर्थशास्त्र के जनक आचार्य चाणक्य ने अर्थशास्त्र की सबसे सटीक परिभाषा दी है। चाणक्य अपने अर्थशास्त्र में अर्थशास्त्र की परिभाषा बताते हुए संस्कृत में लिखते हैं- 

मनुष्याणां वृत्तिः अर्थः। मनुष्यवती भूमिः इत्यर्थः। तस्याः पृथिव्याः लाभपालनोपायः शास्त्रम्- अर्थशास्त्रम्।। - (कौटिल्य अर्थशास्त्र, अधिकरण 15)

हिंदी अर्थ- आचार्य चाणक्य अर्थशास्त्र की परिभाषा बताते हैं कि अर्थशास्त्र पृथिवी के लाभ व पालन पोषण के लिए लिखा जाने वाला ग्रंथ है। इसमें समस्त अर्थ, धन, लोकव्यवहार, नीति शास्त्र, राजनीति आदि सभी विषय समाहित हो जाते हैं।


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एडम स्मिथ जे अनुसार अर्थशास्त्र की परिभाषा

एडम स्मिथ अर्थशास्त्र को धन व धनोपयोग, क्रय विक्रय विनिमय आदि के रूप के रूप में परिभाषित करते हैं। एडम स्मिथ की इस परिभाषा को संकुचित बताते हुए विभिन्न विद्वानों ने उनका विरोध किया है।


मार्शल के अनुसार अर्थशास्त्र की परिभाषा

मार्शल विद्वान के अनुसार अर्थशास्त्र मानव जीवन के सामान्य व्यापार सम्बंधित कार्यों का अध्ययन शास्त्र है। मार्शल का कहना है कि अर्थशास्त्र में मानव जीवन के सामाजिक व व्यक्तिगत विषयों का अध्ययन किया जाता है। हालांकि मार्शल के अनुसार अर्थशास्त्र की यह परिभाषा भी अनेकानेक विद्वानों द्वारा खण्डित है।


प्रोफेसर राॅबिंस के अनुसार अर्थशास्त्र की परिभाषा

राॅबिंस विद्वान ने भी अर्थशास्त्र को मानव जीवन के व्यवहार संबंधित शास्त्र के रूप में परिभाषित किया है। प्रोफेसर राॅबिंस कहते हैं- अर्थशास्त्र वह विज्ञान है जिसमें सीमित प्रयोग किये जाने वाले साधनों के अनुकूल मानव जीवन का व्यावहारिक अध्ययन किया जाता है।


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अर्थशास्त्र के कितने प्रकार हैं? Arthshastra Ke Prakar

मूल रूप से अर्थशास्त्र के दो भेद हैं या यूं कहें कि अर्थशास्त्र के दो प्रकार हैं- एक व्यष्टि अर्थशास्त्र, दूसरा समष्टि अर्थशास्त्र (Arthashastra (Economy) Is divided into Two Part- Vyasti And Samshti) 


अर्थशास्त्र का जन्म कब हुआ? Arthshastra Ka Janma Kab Hua

वर्तमान में अर्थशास्त्र के वास्तविक जनक चाणक्य को भूलकर एडम स्मिथ को अर्थशास्त्र का जनक मानते हुए विद्वानों का वर्ग अर्थशास्त्र का जन्म 1976 में बताता है।


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