मां पर कविता | माँ पर कविता | Maa Par Kavita - Poem on Mother in Hindi By कृपाली दिनेशभाई कामलिया

मां पर कविता | माँ पर कविता | Maa Par Kavita - Poem on Mother in Hindi By कृपाली दिनेशभाई कामलिया 


मां पर | नमोनमः 

नाम :- कृपाली दिनेशभाई कामलिया 

स्थान :- पालिताना

अभ्यास :- विद्यावाचस्पति शोधछात्रा 

विशेष :- स्वरचित सर्जन, साहित्य रसिक


*माँ याद आती है*


आँख भर आती है दिल रो उठता है

जब कोई प्यार से लाड कराए 

               पलकों में रखता है 

               माँ याद आती है .....[२]

चाँद छूप जाता है सूरज डूब जाता है

अंधेरो में कोई हाथ थामकर

                 घर लौटाता है

                 माँ याद आती है......[२]

युही गिर जाते है कभी रुक जाते है

हार में कोई उम्मीद जगाए 

                सम्भलना सिखाता है

                माँ याद आती है..[२].   

मुश्किले आती है धूप छाँ जाती है

 राह में कोई सबसे पहले

                 हाथ बढाता है

                 माँ याद आती है...[२]

अकेले पड जाते है चुप रह जाते है

दिल से कोई प्यार बातो में 

                 खुशिया लोटाता है

                  माँ याद आती है ....[२] 

रुठ जाते हैं जीद कर लेते है

कान खींच के कोई गोदमें सुलाकर 

                    लोरिया गाता है

                    माँ याद आती है.....[२]



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*कविता :- भीतर तु खोज*


निकल पड़े हमराही जिंदगी तराशने की ओर।

बीच रास्ते खडे़ रहो तो गले लगायेंगी मौत।।


मछली की आँख में तेरी आँखो को मिला दे।

मिल जाए तेरा ईमान एकबार तो तू दौड।।


हमदर्द है आपस में बैर नहि रखना किसी से।

बसेरा नहिं है यहाँ तू कब्जा जमाना छोड़।।


जब हम मिलेंगे तब मिलकर न मिलेंगे कभी

सामने है फिर भी जब पहचान न पाया दोस्त।।


अपने सिद्धांतो पर चलना बीते पल न भूलना।

थक न जाना तू कभी एक रास्ता ले मोड़।।


संत महात्मा ऋषि मुनि मानव बन गये महान।

सब है एक साथ तुझमें भीतर तेरा तू खोज।।



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