पीपल के पेड़ की कितनी परिक्रमा करनी चाहिए | पीपल पूजा के नियम, फायदे, परिक्रमा, पीपल के पेड़ पर जल कब चढ़ाना चाहिए

पीपल के पेड़ की कितनी परिक्रमा करनी चाहिए | पीपल पूजा के नियम, फायदे, परिक्रमा, पीपल के पेड़ पर जल कब चढ़ाना चाहिए

पीपल पेड़ों में सबसे श्रेष्ठ माना जाता है यहां तक कि भगवान श्री कृष्ण ने गीता में सभी वृक्षों में अपने आप को पीपल का वृक्ष बताया है। अश्वत्थः सर्ववृक्षाणाम् - गीता वास्तव में पीपल का वृक्ष साक्षात भगवान विष्णु अथवा भगवान कृष्ण का ही स्वरूप है। 

हमारे किसी दर्शक ने पूछा है कि पीपल के पेड़ की कितनी परिक्रमा करनी चाहिए यह सवाल काफी रोचक है हम आपको इसका सटीक जवाब बताने जा रहे हैं। यदि आप भी पीपल के पेड़ में दिया जलाते हैं। 

अथवा पीपल की पूजा करते हैं तो भगवान नारायण की कृपा आप पर अवश्य बनी रहेगी लेकिन आपको इतना जरूर पता होना चाहिए कि पीपल के पेड़ की कितनी परिक्रमा करनी चाहिए, पीपल पर जल चढ़ाते समय कौन सा मंत्र बोलना चाहिए...

पीपल की पूजा सुबह कितने बजे करनी चाहिए इत्यादि पीपल के पेड़ से जुड़ी धार्मिक एवं रहस्यमई जानकारी हम आपको प्रदान कर रहे हैं। आइए सबसे पहले जानते हैं पीपल की पूजा का महत्व एवं पीपल की पूजा के फायदे उसके बाद हम जानेंगे कि पीपल के पेड़ की कितनी परिक्रमा करनी चाहिए



पीपल की पूजा का महत्व व पीपल की पूजा के फायदे

हिंदू धर्म में पीपल को साक्षात भगवान नारायण का ही स्वरूप बताया गया है। पीपल की पूजा करने का प्राचीन काल से विशिष्ट महत्व रहा है। पीपल की पूजा करने मात्र से भगवान नारायण एवं महालक्ष्मी की पूजा हो जाती है। 

अक्सर लोग अमावस्य एवं पूर्णिमा के दिन पीपल की पूजा किया करते हैं। पीपल ही एक ऐसा अद्वितीय वृक्षा है जिसके नीचे गौतम बुद्ध से लेकर के विभिन्न ऋषि-मुनियों ने अखंड ज्ञान प्राप्त किया। 

वैज्ञानिक भी पीपल के वृक्ष को देखकर हैरान होते हैं। क्योंकि पीपल का ही एकमात्र ऐसा वृक्ष है जो 24 घंटे ऑक्सीजन छोड़ता है। आइए जानते हैं पीपल की पूजा के फायदे

 
पीपल की पूजा के फायदे (लाभ)

  • पीपल की पूजा से शनि दोष दूर होता है।

  • पीपल पेड़ की पूजा करने से मां लक्ष्मी एवं भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।

  • पीपल वृक्ष की पूजा करने से पित्र देवता प्रसन्न होते हैं।

  • पितृ दोष से भी पीपल की पूजा करने से मुक्ति मिलती है।



पीपल पर जल चढ़ाते समय कौन सा मंत्र बोलना चाहिए?

पीपल भगवान नारायण का स्वरूप है पीपल में ही मां लक्ष्मी का भी वास माना जाता है। अतः शुद्ध एवं पवित्र होकर के पीपल वृक्ष में गुरुवार के दिन अथवा अमावस्या पूर्णिमा के दिन जल चढ़ाने से मां लक्ष्मी एवं नारायण की असीम कृपा प्राप्त होती है। 

पीपल पर जल चढ़ाते समय महालक्ष्मी अथवा भगवान नारायण के मंत्रों का उच्चारण करना विशेष लाभदायक माना गया है। पीपल पर जल चढ़ाने के कुछ विशेष मंत्र निम्नलिखित हैं


ॐ श्री- अश्वत्थवृक्षाय नमः

मूलतो ब्रह्मरूपाय मध्यतो विष्णुरूपिणे। 

अग्रत: शिवरूपाय वृक्षराजाय ते नम:।।


आयु: प्रजां धनं धान्यं सौभाग्यं सर्वसम्पदम्। 

देहि देव महावृक्ष त्वामहं शरणं गत:।।



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पीपल की पूजा सुबह कितने बजे करनी चाहिए?

पीपल के पेड़ में जल चढ़ाने के लिए विशेष बात का ध्यान रखना चाहिए कि सूर्योदय से पहले पीपल के पेड़ में कभी भी जलने चढ़ाएं। सूर्योदय से पहले पीपल का पेड़ देखना भी नहीं चाहिए और ना ही पीपल के पेड़ के पास जाना चाहिए जब सूरज यह हो जाता है। 

उसके बाद ही पीपल के पेड़ में जल चढ़ाना चाहिए। ऐसा शास्त्रों में उल्लेख पाया जाता है। सूर्योदय से पहले पीपल के पेड़ के पास जाने से अथवा पीपल के पेड़ की पूजा करने से, पीपल के पेड़ में जल चढ़ाने से, पीपल के पेड़ की परिक्रमा करने से, घर में दारिद्र्य आता है। अतः सूर्योदय के बाद ही पीपल के पेड़ में जल चढ़ाना चाहिए।



पीपल के पेड़ की कितनी परिक्रमा करनी चाहिए

हमारी कुछ दर्शकों ने यह सवाल किया था कि पीपल के पेड़ की कुल कितनी परिक्रमा करनी चाहिए। हम आपको बताना चाहेंगे कि पीपल का पेड़ साक्षात भगवान नारायण विष्णु का रूप है। इसमें मां लक्ष्मी का भी निवास होता है। पीपल के पेड़ के तीन परिक्रमा करनी चाहिए। वैसे पीपल के पेड़ की चार परिक्रमा भी की जा सकती है क्योंकि यह भगवान नारायण का स्वरूप पीपल का पेड़ होता है। 



पीपल की परिक्रमा लगाने से क्या होता है?

शास्त्रों में कहा गया है कि पीपल के पेड़ की परिक्रमा करने मात्र से व्यक्ति भगवान नारायण के परम पद को प्राप्त हो जाता है एवं समस्त कर्म बंधनों से मुक्त हो जाता है। पीपल की परिक्रमा करने का विशेष महत्व है। 

इससे शनि दोष की निवृत्ति होती है तथा पितृ दोष से भी मुक्ति मिलती है। पीपल की परिक्रमा करने से जीवन में धन-धान्य सुख-समृद्धि एवं मां लक्ष्मी की अनंत कृपा बरसती है।


पीपल की 108 परिक्रमा का विशेष फल

विशेष प्रकार की कामना को पूर्ण करने के लिए पीपल की 108 परिक्रमा करने का विशेष विधान शास्त्रों में बताया गया है। यदि कोई व्यक्ति पीपल के 108 परिक्रमा कर लेता है तो इससे उसके सभी पाप दूर हो जाते हैं और वह निष्पाप कहलाता है। ऐसा भगवान नारायण के परम भक्त को सभी प्रकार की वस्तुएं प्राप्त हो जाती हैं।


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पीपल पूजा के नियम- Pipal Puja Rules In Hindi

पीपल के पेड़ की पूजा करने में कुछ विशेष सावधानियां बरतनी आवश्यक है। प्रातकाल शुद्ध स्नान आदि से निवृत हो कर के ही पीपल के पेड़ के पास जाना चाहिए। पीपल की पूजा के कुछ विशेष नियमों का पालन करना चाहिए जो कि निम्नलिखित हैं


पीपल की पूजा के नियम - Pipal Ped Ki Puja Ke Niyam

  • सूर्योदय के बाद ही पीपल की पूजा करनी चाहिए।

  • रविवार को पीपल की पूजा बिल्कुल न करें।

  • जीवन में पीपल का पेड़ कभी भी न काटें।

  • पीपल में जल चढ़ाते समय लक्ष्मी नारायण का स्मरण करें।

  • शनिवार को पीपल की पूजा का विशेष फल मिलता है। 



शनिवार को पीपल में जल कब चढ़ाना चाहिए

शनिवार को सूर्योदय के बाद ही पीपल में जल चढ़ाना चाहिए शनिवार के दिन पीपल के पेड़ में साक्षात मां लक्ष्मी का निवास होता है। इस दिन पीपल की पूजा करने से जन्म कुंडली में शनि उसकी भी शांति होती है। शनि की साढ़ेसाती भी दूर होती है।


पीपल के नीचे दीपक जलाने से क्या होता है

पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाने से लक्ष्मी नारायण की अनंत कृपा बरसती है। पीपल के पेड़ में सभी देवी देवताओं का वास माना जाता है। पीपल के नीचे दीपक जलाने से पाप नष्ट होते हैं।


पीपल की पूजा सुबह कितने बजे करनी चाहिए?

पीपल की पूजा सुबह 6:00 बजे के बाद ही करनी चाहिए ध्यान दें। सूर्योदय होना आवश्यक है। सूर्योदय से पहले पीपल की पूजा बिल्कुल भी नहीं करें इससे घर में दरिद्रता आती है।


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प्रिय पाठकों, आज के इस आर्टिकल में पीपल के पेड़ की कितनी परिक्रमा करनी चाहिए, पीपल की परिक्रमा लगाने से क्या होता है, पीपल की 108 परिक्रमा का विशेष फल, पीपल के पेड़ की पूजा कैसे करे, अमावस्या के दिन पीपल की पूजा कैसे करें, पीपल के पेड़ पर जल कैसे चढ़ाते हैं?

पीपल के नीचे diya कब जलाना चाहिए? इत्यादि विभिन्न प्रकार की अनमोल जानकारी प्रदान की गयी। 


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