यम - नचिकेता संवाद •| यम नचिकेता का हुआ संवाद | यमराज और नचिकेता की कहानी • Yam Nachiketa Samvad (Kahani)

यम नचिकेता संवाद। प्यारे- प्यारे पाठकमित्रों,आप सभी का आपके अपने परिवार SANSKRITEXAM.COM की ओर से हार्दिक स्वागत है।

 

यम - नचिकेता संवाद •| यम नचिकेता का हुआ संवाद | यमराज और नचिकेता की कहानी • Yam Nachiketa Samvad (Kahani)

क्या आप जानते हैं- यम नचिकेता का संवाद क्या है। नचिकेता किसका पुत्र था। यमराज कौन था। यम-नचिकेता की कथा कंहा मिलती है। सुहृदः! आप सभी का आपके अपने परिवार संस्कृत एग्जाम वेबसाइट की ओर से तहदिल से स्वागत है। 

मित्रों जैंसे कि आप सभी जानते हैं UGC NET Sanskrit की परीक्षा बिल्कुल नजदीक है। एसें समय में आपको किस प्रकार तैयारी करनी चाहिए इसके लिए आपका अपना परिवार वन्दे संस्कृतमातरम् एवं Sanskritexam.Com Website सदैव आपके साथ है।


मित्रों! UGC NET Sanskrit 25 कोड के अन्तर्गत उपनिषद् का विषय लगा हुआ है। जिसमें कि कठोपनिषद् भी है। मित्रों इसी कठोपनिषद् के अन्तर्गत एक सबसे अद्भुत संवाद है। जिसको कि यम नचिकेता संवाद कहा जाता है।

जी हां! यह वही यम-नचिकेता की कथा है, जो आपने शायद बचपन में पढी होगी। प्रेयांस मित्राणि! क्या आपको पता है???

IN THIS POST

  • यम नचिकेता संवाद क्या है?
  • नचिकेता किसका पुत्र था?
  • यमराज किसके पिता थे?
  • नचिकेता किसका पुत्र था?
  • नचिकेता के तीन प्रश्न क्या थे?
  • नचिकेता का प्रथम वर क्या था?

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जी! हां ये वही प्रश्न है जो आज आपको हम यंहा UGC NET Sanskrit Code 25 की दृष्टि से बिल्कुल रोचक ढंग से कथात्मकरूप से स्पष्ट करेंगे। तो आइये मित्रों! UGC NET Sanskrit Preparation 2020-2021 की आने वाली परीक्षा की तैयारी करते हुए हम आज के विषय को प्रारंभ करते हैं।


यम नचिकेता संवाद क्या है?

मित्राणि! यम नचिकेता की कथा अथवा यम नचिकेता संवाद जो कि लोक में भी अत्यन्त प्रसिद्ध है, वह हमारे मूल वेदों से ही लिया गया है। जी बिल्कुल सही पढा आपने! यह यम-नचिकेता का संवाद वैदिक साहित्य के अन्तर्गत उपनिषद् साहित्य में कठोपनिषद् से लिया गया है।  

जैंसा कि इस संवाद का नाम है यम नचिकेता संवाद। ठीक उसी प्रकार से इस संवाद में यम और नचिकेता का आपस में बहुत बड़ा संवाद होता है। यह बात तब की है जब नचिकेता के पिता ने विश्वजित् नामक यज्ञ किया। 

यह प्रश्न परीक्षा में पूछा गया था। जी हां नचिकेता के पिता विश्वजित् यज्ञ करने के बाद बूढी एवं बीमार गायें जब ब्राह्मणों को दान देने लगते हैं तो नचिकेता को बहुत बड़ा दुख होता है। और नचिकेता कहता है कि आप इन बूढी गायों को क्यों दान में दे रहे हो। मुझे ही दान में दे दो। 

इस बात लो कहकर नचिकेता के पिता को अचानक बहुत बडा क्रोध आ जाता है और नचिकेता के पिता नचिकेता को कहते हैं कि- जाओ मैं तुम्हे यमराज को दान में दुंगा। अब यंहा से नचिकेता और यमराज के बीच हुआ संवाद। पिता के कहने पत नचिकेता को यमराज के पास जाना ही था।


अब ! नचिकेता सीधे यमद्वार पर पहुंच गये और तीन दिन ,तीन रात तक यम के द्वार पर ही खडे रहकर यम से मिलने की प्रतीक्षा करने लगे। अब समय आ चुका था यमराज को मिलने का। नचिकेता की प्रतीक्षा का अन्त हुआ। 

यमराज अपने द्वार पर नचिकेता को देखने पहुंचे। जैंसे ही यमराज ने नचिकेता को देखा और नचिकेता के बारे में यह जाना कि नचिकेता तीन दिन और तीन रात से प्रतीक्षा कर रहे थे, तो यमराज इस बात को सुनकर बहुत ज्यादा प्रसन्न हुए। 

यम - नचिकेता संवाद •| यम नचिकेता का हुआ संवाद | यमराज और नचिकेता की कहानी • Yam Nachiketa Samvad (Kahani)


यमराज ने नचिकेता को कौन-कौन से वरदान दिए?

यमराज ने प्रसन्न होकर नचिकेता को कहा। हे नचिकेतस्! तुमने मेरी तीन दिन तक बहुत बडी प्रतीक्षा की! मैं तुमसे अत्यन्त प्रसन्न हूँ । तुम मुझसे तीन वरदान मांगो। यह सुनकर

नचिकेता ने सबसे पहला वरदान मांगा कि जब हे यम देव! जब मैं घर वापस जाउंगा तो मेरे पिता मुझ स्वीकार करें। इसके बाद नचिकेता का दूसरा वरदान  - नचिकेता ने यमराज से कहा कि क्या जो भी देवी देवता स्वर्ग में रहते हैं क्या वे हमेशा अमर रहते हैं?

इस दूसरे वरदान को लेकर यमराज ने नचिकेता को एक विद्या प्रदान की । जिसका नाम अग्नि विद्या है।
परीक्षा में बहुत बार इस प्रकार का प्रश्न पूछा जाता है ।- अग्निविद्याविवेचनम् कस्यामुपनिषदि? अर्थात् अग्निविद्या का विवेचन किस उपनिषद् में है।



इस प्रकार अब नचिकेता ने यमराज से दूसरा वरदान भी मांग दिया। लेकिन नचिकेता ने अपने अन्तिम वरदान में जो मांगा उसे सुनकर यमराज बहुत आश्चर्य में पड गये। नचिकेता मे अपने तीसरे वरदान में कहा कि- मृत्यु क्यों होती है। यह सुनकर यमराज आश्चर्य में पडकर नचिकेता से कहने लगे कि -

हे नचिकेतस् ! यह प्रश्न मर पूछो! इसके बदले में मैं तुम्हें सब प्रकार की धन-सम्पत्ति, ऐश्वर्य, बल, रुप आदि दे दुंगा। परन्तु नचिकेता अपनी बात से बिल्कुल पीछे नहीं हटे। अन्त में यमराज को इस प्रश्न का उत्तर भी देना पडा, और इसी तीसरे प्रश्न को लेकर यमराज ने नचिकेता को आत्मविद्या का सम्पूर्ण ज्ञान दिया।

"आत्मानं रथिनं विद्धि शरीरं रथमेव तु।
बुद्धिं तु सारथिं विद्धि मनः प्रग्रहमेव च।।"


हे नचिकेतस्!
अर्थात् इस आत्मा को तू रथ के स्वामी के समान जान , शरीर को आत्मा का रथ मान, बुद्धि को इस रथ का सारथि और मन को प्रग्रह अर्थात् लगाम समझ। इस प्रकार यम राज नचिकेता को आत्मतत्व का सम्पूर्ण ज्ञान देने लगते हैं। 

इस बीच नचिकेता यमराज से नाना प्रकार के प्रश्न करते हैं जैंसे कि क्या यह आत्मा मरती है? आत्मा का स्वरूप क्या है? आत्मा निकलने के बाद शरीर में क्या रहता है? इस प्रकार नचिकेता यमराज से नाना प्रकार के आश्चर्यजनक प्रश्न पूछते हैं। जिनका उत्तर यमराज आत्मज्ञान के रूप में नचिकेता को देते हैं।

UGC NET Sanskrit Code 25  परीक्षा में पूछा गया प्रश्न- "आत्मानं‌ रथिनं विद्धि" यह किस उपनिषद् से लिया गया है? मित्रों! इस प्रकार यम-नचिकेता की कथा कठोपनिषद् में अत्यन्त विस्तृत रूप से बतायी गयी है।

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  • यम नचिकेता संवाद किस उपनिषद में है

यमराज नचिकेता संवाद कठोपनिषद में मिलता है। कठोपनिषद में दो वल्लियाँ हैं। इसी उपनिषद में नचिकेता व यमराज की कथा मिलती है।


  • यम और नचिकेता संवाद की मूल पुस्तक है

यम और नचिकेता संवाद की मूल पुस्तक का नाम कठोपनिषद है। इसी उपनिषद से नचिकेता एवं यमराज का संवाद विभिन्न पुस्तकों में अलग-अलग भाषाओं के रूप में प्रस्तुत किया जाता है।


  • नचिकेता का प्रथम वर क्या था

नचिकेता का प्रथम वरदान अपने पिता के क्रोध को शांत करना था। यमराज से सबसे बड़ी नचे दानी यही वरदान मांगा था, जो कि यमराज ने शीघ्र ही दे दिया।


  • कठोपनिषद में कितने मंत्र है?

कठोपनिषद के प्रथम अध्याय में 71 मंत्र हैं एवं द्वितीय अध्याय 48 मंत्र प्राप्त होते हैं।


  • कठोपनिषद में किसका वर्णन है?

कठोपनिषद में विशेष रूप से आत्मा ब्रह्म के मध्य सामंजस्य को स्पष्ट किया गया है। इसके अतिरिक्त अग्नि विद्या तथा यमराज नचिकेता संवाद किस उपनिषद का विशेष भाग है।


  • नचिकेता शब्द का क्या अर्थ है?

नचिकेता शब्द प्राचीन काल में उद्दालक ऋषि के पुत्र का नाम था। सामान्य रूप से नचिकेता शब्द का अर्थ अग्नि होता है। नचिकेता अग्नि का पर्यायवाची शब्द भी माना जाता है।


  • नचिकेता किसका पुत्र था?

नचिकेता उद्दालक ऋषि के पुत्र माना जाता है। उद्दालक ऋषि ने विश्वजीत नाम विशेष यज्ञ का आयोजन किया था।


  • नचिकेता क्यों दुखी हुआ?

जब नचिकेता के पिता बूढी गायों को दान स्वरूप देने लगे थे तो ऐसी स्थिति में नचिकेता दान में बूढ़ी गायों को देने से दुखी हो गया था।


  • नचिकेता ने यमराज के पास जाने का निश्चय क्यों किया?

जब नचिकेता के पिता ने आवेश में आकर नचिकेता को यह कहा था कि जाओ मैं तुम्हें यमराज को देता हूं तो इसी कथन को सत्य साबित करने के लिए नचिकेता ने यह निश्चय किया कि वह स्वयं यमराज के पास जाएगा।


मित्रों! यू जी सी नेट 25 कोड की तैयारी वो भी केवल - 20 दिन में। जी हां! सही पढा आपने! आपकी अपनी  Sanskritexam Website संस्कृत UGC NET Sanskrit Code 25 का कम्पलीट सेट अप दस तारीख को वेबसाइट पर लांच कर रही है। आप अभी लोग इसका लाभ लें! एवं UGC NET राष्ट्रीय परीक्षा को क्रैक करें।आप सभी का धन्यवादः



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2 Comments

  1. Sir bahut achcha लगा पढ़कर आपके मेहनत को कोटि कोटि प्रणाम🙏🙏

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  2. Hamari taraf se aapko namaskar aise hi sabka margdarshak karate rahiye

    ReplyDelete

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