UGC NET Sanskrit Notes- Study Material

प्यारे मित्रों, क्या आप भी किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, क्या आप भी यूजीसीनेट संस्कृत अथवा अन्य किसी  संस्कृत परीक्षा की तैयारी कर रहे है। आज हम आपके लिए लेकर आए हैं- UGC NET Sanskrit Notes- Study Material वेदों के रचनाकाल पर एक महत्त्वपूर्ण स्टडी मैटिरियल। जी हाँ। वेदों की रचना कब हुई, वेद किसने लिखे इत्यादि वेद से सम्बन्धित बहुत सारे प्रश्न आपके मन में भी उठते होंगे। जी हाँ। आज हम आप इन सभी विषयों को लेकर आपके लिए एक अद्भुत लेख प्रस्तुत कर रहे हैं। यह लेख- आदरणीय प्रीति झा जी द्वारा लिखा गया है। 

इस लेख में
  • UGC NET Sanskrit Notes- Study Material 
  • वेदों की रचना कब हुई?
  • वेदों का रचनाकाल
  • वेदों का रचनाकाल- पाश्चात्य विद्वान
  • वेदों का रचनाकाल- भारतीय मत
  • ऋग्वेद कितने वर्ष पूर्व लिखा गया?

तो आइये, प्यारे पाठकों आज के इस लेख का आस्वाद लीजिए, और अपनी परीक्षा में सफलता पाइये। अपने ज्ञान को बढाइये।  
लेखिका- प्रीति झा जी
UGC NET Sanskrit Notes- Study Material


वैदिक- साहित्य का सामान्य परिचय: UGC NET Sanskrit Notes- Study Material 

वेद विश्व का आदिग्रंथ माना जाता है। वेद ही दुनिया की सबसे प्राचीन रचना है। वेद कोई ग्रंथ मात्र नही है, अपितु वेद इस साक्षात् ईश्वरस्वरूप है- ऐसा भारतीय आर्यमत है। प्यारे मित्रों, वेद को यदि ग्रंथ के रूप मे ंदेखा जाए तो वेद की रचना का श्रेय साक्षात् ब्रह्मा को जाता है तथा वेद के विभाजन का श्रेय वेदव्यास श्रीकृष्णद्वेैपायन जी को जाता है। वेद व्यास ने वेदों को चार भागों में विभाजित किया। जी हाँ। यह घटना द्वापर युग के अन्तिमकाल की है, जब वेदव्यास जी ने वेदों को विभाजित किया। ये चार वेद थे-
  • ऋग्वेद
  • यजुर्वेद
  • सामवेद
  • अथर्ववेद
इस प्रकार वेद व्यास जी ने वेदों को चार प्रकार से विभाजित किया। प्यारे पाठकों, वेद की रचना साक्षात् ब्रह्मा जी के द्वारा की गई और वेद व्यास ने वेदों को विभाजित किया, यह तो आपने समझ लेकिन अब सबसे बडा विवाद है कि वेदों की रचना कब हुई। वेदों की रचना कितने साल पहले हुई। ऋग्वेद कितने वर्ष पुराना है इत्यादि प्रश्न आपके मन में स्वभावतः होंगे। यँहा हम इन सभी प्रश्नो की चर्चा करेंगे लेकिन यंहा परीक्षा दृष्टि से अर्थात् यूजीसीनेट संस्कृत के पाठ्यक्रमानुसार हम वेदों के रचनाकाल की चर्चा करेंगे।


वेदों का रचनाकाल- पाश्चात्य विद्वान 

● वेदों का काल: मैक्समूलर, ए•वेबर,जैकोबी, बाल गंगाधर तिलक, एम•विण्टरनित्ज, भारतीय परम्परागत विचार 

मैक्समूलर (1200ई •पू•)

प्रो•मैक्समूलर ने सर्वप्रथम 1859 ई में वेदों के काल निर्धारण का प्रयास अपनी पुस्तक (A History of Ancient Sanskrit Literature) में किया। मैक्समूलर जो कि एक जर्मन विद्वान थे, इन्होंने वेदों पर बहुत शोध किया है। आज भी भारतीय विद्वान वेदों के प्रामाणिक तथ्यों के लिए मैक्समूलर की बातों को उद्धृत करते हैं। मैक्समूलर ने वेदों की रचना कब हुई- इसके बारे में वेदों के उत्तरोत्तर क्रम से चार अलग- अलग मत प्रस्तुत किए। प्रत्येक काल के मध्य में अनुमानतः 200 वर्षों का अन्तर है। 

मैक्समूलर ने वैदिक काल को 4भागों में विभक्त किया-

छन्दकाल-

1200 से 1000 ईसा पूर्व तक

मंत्रकाल-

1000 से 800 ईसा पूर्व तक

ब्राह्मणकाल-

800 से 600 ईसा पूर्व तक

सूत्रकाल-

600 से 200 ईसा पूर्व तक

ट्रिक:-छमबासू  (परीक्षा के लिए आप मैक्समूलर के उपरोक्त चार विभाजन को इस ट्रिक से याद रख सकते हैं।)

मैक्समूलर ने बौद्ध धर्म को आधार बनाकर काल-निर्धारण किया। इस प्रकार मैक्समूलर ने सामान्यतः वेदों का रचनाकाल 1200 ईसा पूर्व स्वीकार किया, लेकिन वंही मैक्समूलर ने बाद में अपनी एक दूसरी पुस्तक में वेदों की रचना 1500 ईसा पूर्व भी स्वीकार की। बाद में , आगे चलकर तो  ग्रिफिट लेक्चर में तो मैक्समूलर  ने इतना तक भी कह दिया था कि- इस धऱती में वेदों का रचनाकाल का निर्णय कर पाना किसी के बस में नहीं। 

●ध्यातव्य:-  1890 ई में मैक्समूलर ने अपनी पुस्तक (Physical Religion)में स्वयं अपनी बात का खण्डन या है कि इस भूतल में कोई भी व्यक्ति वेदों के काल निर्धारण का निश्चय नहीं कर सकता। 

Note:-  मैक्समूलर ने अपनी दूसरी पुस्तक (Chips From A German Workshop) में वेदों का समय 1500ई पूर्व स्वीकार किया है। मैक्समूलर जर्मन के विद्वान हैं। मैक्समूलर के मत के विरोध में मार्टिन हॉग नामक विद्वान ने इनका खण्डन किया। उन्होंने अपनी एतरेयब्राह्मण का भाष्यभूमिका में वेदों का रचनाकाल - 1400 से 1200 ईसा पूर्व के मध्य बताया। 


वेदों का रचनाकालः ए•वेबर (जर्मन विद्वान)का मत:- 

सुप्रसिद्ध जर्मन विद्वान ए•वेबर ने वेदों के काल- निर्धारण को लेकर प्रयत्न करना निरर्थक बताया है। इस बारे में उन्होंने अपनी पुस्तक (History of Indian Literature)में बताया है ।
ध्यातव्य :-  ए •बेबर ने कहा है कि वेदों का रचनाकाल 1200 ईसा पूर्व या 1500के बाद का समय किसी भी रूप मे स्वीकार नहीं किया जा सकता है।  अर्थात् इनके मत में वेदों की रचना इसी कालखण्ड के बीच हुई है।

पहला मत-

12,00 से 15,00 ईसा पूर्व के मध्य


दूसरा मत-

वेदों का रचनाकाल

निश्चित नहीं किया जा

सकता।


वेदों का रचनाकालः डॉ जैकोबी 

जर्मन मनीषी जैकोबी ने ज्योतिष के आधार पर वैदिक काल का निर्धारण किया है। जाकोबी या याकोबी ने मैक्समूलर का पूर्णतः खण्डन किया। उनका कहना है कि संहिता काल से लेकर ब्राह्मणकाल के बीच केवल 200 वर्षों का अन्तर समझना सही नहीं है। इन्होंने कृत्तिका एवं वसन्तसम्पात (वसन्त का आगमन)के आधार पर यह निर्णय किया है। इसी के साथ जैकोबी ने- कल्पसूत्र में पठित एक मंत्र का उद्धरण भी दिया है- ध्रुव इव स्थिरा भव।

वेदों का रचनाकाल

4,590 ईसा पूर्व

ब्राह्मणग्रंथों का रचनाकाल

25,00 ईसा पूर्व

ध्यातव्य:-  इस प्रकार जैकोबी ने वेदों का समय लगभग 4500से 3000 ई एवं ब्राह्मणग्रन्थों का समय लगभग 3000से 2000ई पूर्व ही स्वीकार किया है। 

जैकोबी ने अपने मत की पुष्टि के लिए ऋगवेद के सप्तम मण्डल के मण्डूक सूक्त की एक ऋचा भी उल्लेख किया है---देवहितिं जुगुपुर्द्वादशास्य..।


वेदों का रचनाकालः बाल गंगाधर तिलक

लोकमान्य तिलक जी ने निष्कर्ष रूप से वेदों का कालक्रम 4000से 6000ई पूर्व माना है। तिलक एवं जैकोबी जी के कालक्रम में प्रायः समानता मिलती है। क्योंकि जैकोबी जी ने 4590के लगभग अपना मत बताया है। 

●अवधेयास्पद है कि इन दोनों विद्वानोंने वेदकाल निर्धारण के लिए ज्योतिष को अवलंबन बनाया है। 

●तिलक जी ने वैदिक काल को  4 विभागोंमें वर्गीकृत किया है-

अदितिकाल-

6,000 से 4,000 ईसा पूर्व

 
मृगशिराकाल-

4,000 से 25,00 ईसा पूर्व
(ऋग्वेदसंहिता का मंत्रकाल)

 
कृत्तिकाकाल-

25,00 से 14,00 ईसा पूर्व
(तैत्तिरीयसंहिता व ब्राह्मणकाल)

अन्तिमकाल-

14,00 से 500 ईसा पूर्व
(सूत्रग्रंथों का काल)


Note
:-    तिलक जी ने अपनी पुस्तक (Arctic home in the vedas)में 10,000ई पूर्व माना है । लोकमान्य तिलक के इस सिद्धान्त को वसन्तसम्पात सिद्धान्त कहा जाता है। 

●'ओरायन'तिलक का पहला ग्रंथ है। 


वेदों का रचनाकालः एम •विण्टरनित्ज (4500से 6000ई पूर्व)

ये एक जर्मन विद्वान हैं। इन्होंने वैदिक काल के निर्धारण के लिए ब्राह्मण ग्रंथों, पाणिनि व्याकरण की संस्कृत भाषा एवं अशोक के शिलालेख आदि इन सबका वैदिक भाषा से साम्य को केन्द्रित करके आधार बनायाहै। 

इनका मत    4500से 6000ई पूर्व 

ध्यातव्य:-    विण्टरनित्ज ने ज्योतिष एवं भूगर्भशास्त्र को आधार मानकर 6000से 2500ई पूर्व के कालक्रम को अनुचित बताया है। (यहाँ पर ये खण्डन कर रहे हैं तिलक के मत का)


वेदों से सम्बन्धित महत्वपूर्ण पुस्तके ंतथा उनके लेखक

पुस्तक का नाम

लेखक का नाम

 

A History of Ancient Sanskrit Literature


मैक्समूलर

 

Physical Religion


मैक्समूलर

Chips From A German Workshop


मैक्समूलर

History of Indian Literature

ए. बेबर

Arctic home in the vedas

बालगंगाधर तिलक

 

ओरायन


बालगंगाधर तिलक

ऋग्वैदिक इण्डिया

अविनाशचन्द्र दास

 

वेदकाल निर्णय

 

पण्डित दीनानाथ शास्त्री


भारतीय परम्परागत-विचार 

वेदों को सभी भारतीय षड्दर्शनों ने, भारतीय परम्परा में वेद नित्य, अपौरुषेय एवं अनुत्पन्न माना है। केवल न्याय-वैशेषिक दर्शनों ने सृजित बताया है। भारतीय विद्वानों ने वेद को केवल ईश्वर द्वारा रचित बताया इसीलिए भारतीय परम्परा में वेद को अपौरुषेय माना जाता है।  कुछ भारतीय विद्वानों ने तथापि वेदों के रचनाकाल को स्पष्ट करने के लिए लिए किंचित् प्रयास किया है। कुछ अन्य भारतीय विद्वानों का मत यंहा दिया गया है-

अविनाशचन्द्र दास

इन्होंने अपना एक ग्रंथ लिखा, जिसका नाम- ऋग्वैदिक इण्डिया है। अविनाश चन्द्र दास ने अपने इस ग्रंथ में- एका चेत् सरस्वती नदीनाम् इत्यादि मंत्रों का उदाहरण देते हुए वेदों का रचनाकाल निर्धारित करने का प्रयास किया है। इनके मत में वेदों की रचना- 2500 ईसा पूर्व हुई है। 


पण्डित दीनानाथ शास्त्री

पंडित दीनानाथ शास्त्री ने वेदों के रचनाकाल को लेकर एक पुस्तक लिखी, जिसका नाम- वेदकालनिर्णय है। इस पुस्तक में दीनानाथ शास्त्री नें वेदों का रचनाकाल 3 लाख साल पहले बताया है।


डॉ. आर. जी. भण्डारकर

भण्डारकर जी ने वेदों की रचना 600 ईसा पूर्व स्वीकार की।

पण्डित बालकृष्ण दीक्षित

बालकृष्ण दीक्षित के अनुसार वेदों का रचनाकाल 3500 ईसा पूर्व माना गया है। इन्होंने वेदों के रचनाकाल को स्पष्ट करने के लिए शतपथ ब्राह्मण को आधार बनाया। बालकृष्ण दीक्षित ने शतपथ ब्राह्मण के- एक द्वे त्रीणि चत्वारि वा अन्यानि नक्षत्राणि अथैता एव भूयिष्ठा....। इस मंत्र का उद्धरण देकर शतपथ ब्राह्मण का रचनाकाल 3,000 ईसा पूर्व माना है और वेदों का रचनाकाल 3,500 ईसा पूर्व बताया है।  धन्यवादः।।


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महत्वपूर्ण प्रश्न - Ugc Net  2018 में पूछे गये!!  आप सभी इन प्रश्नों के उत्तर कमेंट के माध्यम से जरूर दीजिएगा।

IMPORTANT QUESTIONS

१- माण्डूकायनी शाखा कस्य वेदस्य वर्तते?

अ- ऋग्वेद          ब- यजुर्वेद

स- सामवेद         द- अथर्ववेद


२- मानवश्रौतसूत्रम् कस्य वेदस्य वर्तते?

अ- ऋग्वेद.           ब- सामवेद

स- कृष्ण यजुर्वेद    द- शुक्ल यजुर्वेद


३- "राजन्तमध्वराणां गोपामृतस्य दीदिवम्" अत्र दीदिवम् इत्यस्य अर्थः अस्ति?

अ- द्युलोकम्           ब- इन्द्रम्

स- पुनर्जायमानम्     द- प्रकाशमानम्


४- "सूर्यः आत्मा जगतस्तस्थुषश्च" अस्य मंत्रस्य ऋषिः कः?

अ- दीर्घतमा           ब- मधुच्छन्दा

स- वशिष्ठ              द- कुत्स आङ्गिरस


५- मौद शाखा केन वेदेन सह सम्बद्धा?

अ- सामवेद           ६- यजुर्वेद

स- अथर्ववेद.         ७- ऋग्वेद


६- वेदे "सूनरी" इति कस्या विशेषणम्?

अ- अपाला            ब- घोषा

स- सरस्वती           द- उषा


७- गौतमधर्मसूत्र केन वेदेन सह सम्बद्धम्?

अ- यजुर्वेद             ब- सामवेद

स- अथर्ववेद           द- ऋग्वेद


८- निरुक्ते कति पदजातानि वर्तन्ते?

अ- पंच                 ब- षट्

स- चत्वारि             द- सप्त


९- मशककल्पसूत्रम् कस्य वेदस्य वर्तते?

अ- ऋग्वेद             ब- यजुर्वेद

स- अथर्ववेद          द- सामवेद


१०- "मा नो वधाय हत्नवे जिहीलानस्य रीरधः" अत्र स्तूयमानः देवः कः?

अ- अग्निः              ब- सोमः

स- वरुणः               द- सूर्यः


११- "तस्मादृचः सामयजूंषि दीक्षा" इति कुत्र वर्तते?

अ- सामवेद.           ब- कठोपनिषद्

स- ईशोपनिषद्       द- मुण्डकोपनिषद्


१२- कियन्ति समानाक्षराणि ऋग्वेदप्रातिशाख्ये?

अ- दश                 ब- अष्ट

स- नव                  द- पंच


१३- "केवलाघो भवति केवलादी" इत्यस्य मंत्रस्य ऋषिः कः?

अ- वशिष्ठः              ब- भृगुः

स- कण्वः               द- भिक्षुराङ्गिरस्


१४- "तेजो यत्ते रूपं कल्याणतमं तत्ते पश्यामि" इति कुत्र वर्तते?

अ- केनोपनिषदि      ब- कठोपनिषदि

स- ईशोपनिषदि       द- ऐतरेयोपनिषदि




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