संस्कृत साहित्य - Sanskrit Sahitya | रघुवंश, कुमारसंभव, मेघदूत महत्वपूर्ण प्रश्न

नमो नमः! प्यारे मित्रों क्या आप भी संस्कृत परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं? क्या आप भी अपने लक्ष्य की प्राप्ति करना चाहते हैं? तो आइए आप की तैयारी में चार चांद लगाने के लिए आज हम आपके लिए संस्कृत साहित्य प्रश्नोत्तरी लेकर के उपस्थित हैं। स्वागत है- आप सभी मित्रो का आज की इस प्रतियोगिता में । मित्रों अगर आप संस्कृत की किसी भी प्रतियोगिता की तैयारी कर रहे हैं,तो अभी से हमें Follow कर लीजिए, और संस्कृत के इस Online Mock Test प्रतियोगिताओं का आनंद लीजिए-- बिल्कुल मुफ्त में! 

इस लेख में
  • संस्कृत साहित्य माॅक टेस्ट
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  • रघुवंश प्रश्नोत्तरी तथा रघुवंश महाकाव्य परिचय
  • मेघदूत खण्डकाव्य परिचय
  • कुमारसंभव का परिचय

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आज का विषय - रघुवंश , मेघदूत, कुमारसंभव 
मित्रों आज की प्रतियोगिता का विषय कालिदास द्वारा रचित तीन विशिष्ट काव्यग्रंथो पर आधारित है। आइये!
अन्त में comment करके जरूर बताइये!!! Quiz Application

आपको‌ प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 20 सेकण्ड के अन्दर देना है।

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संस्कृतसेवकों!,    तो कितने अंक प्राप्त किये आपने!? Comment!  चलिए , यंहा हम थोडा - रघुवंश, कुमारसंभव, मेघदूत की चर्चा कर रहे हैं।

रघुवंश , कुमारसंभव, मेघदूत 👇👇


रघुवंश , कुमारसंभव , मेघदूत ये तीनो काव्य ग्रन्थ संस्कृत जगत में अत्यन्त प्रसिद्ध तथा परीक्षा की दृष्टि से भी अत्यन्त उपयोगी हैं। कहा जाता है कि कविकुलगुरू कालिदास को मां काली से ज्ञान प्राप्त हुआ जिसके फलस्वरूप कालिदास ने अद्भुत संस्कृत काव्य ग्रंथों की रचना की संस्कृत साहित्य की धारा में कालिदास के चार काव्य ग्रंथ अत्यंत प्रसिद्ध हैं। कालिदास के दो महाकाव्य हैं तथा दो खंडकाव्य हैं। कालिदास के दो महाकाव्य हैं- रघुवंश तथा कुमारसंभव। इसके अतिरिक्त कालिदास के दो खंडकाव्य- मेघदूत तथा ऋतुसंहार हैं। यहां कालिदास के रघुवंश तथा कुमारसंभव वह मेघदूत का परिचय दिया गया है, जो कि सभी परीक्षाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

रघुवंश का परिचय

कविकुलगुरू कालिदास के महाकाव्य ग्रंथों में से अन्यतम ग्रंथ है- रघुवंश। रघुवंश महाकाव्य में कुल 19 सर्ग हैं तथा रघुवंश महाकाव्य में 29 राजा हुए हैं। अर्थात रघुवंश में मुख्य रूप से 29 राजाओं का वर्णन मिलता है। यद्यपि इसके अतिरिक्त भी कुछ राजाओं का वर्णन मिलता है, लेकिन 29 राजा अत्यंत प्रसिद्ध है। रघुवंश महाकाव्य का परीक्षा दृष्टि से सामान्य परिचय नीचे दिया गया।

                        रघुवंश
  • काव्यग्रंथ    ➡  रघुवंश
  • रचयिता      ➡  कालिदास
  • विधा          ➡  महाकाव्य
  • विभाग        ➡  सर्गों में
  • सर्ग            ➡  19 सर्ग
  • उपजीव्य      ➡  रामायण
  • वर्णन           ➡  रघु के वंश की कथा
  • विशेष          ➡  29 राजाओं का वर्णन
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मेघदूत खण्डकाव्य का परिचय

कालिदास के खंडकाव्य में मेघदूत एक विशिष्ट काव्य ग्रंथ है। मेघदूत को खंडकाव्य तथा गीतिकाव्य भी कहा जाता है। इसी मेघदूत को दूत काव्य के रूप में भी जाना जाता है। मेघदूत के अंतर्गत एक यक्ष और यक्षिणी के विरह प्रेम की कथा का वर्णन है। मेघदूत में विप्रलंभ श्रगार रस की अधिकता है मेघदूत में कुल 2 सर्ग हैं या यूं कहें कि मेघदूत में 2 खंड हैं -पूर्व खंड तथा उत्तराखंड। मेघदूत से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण परीक्षा उपयोगी तथ्य निम्नलिखित हैं।

                         मेघदूत
  • ग्रंथ           ➡  मेघदूत
  • रचयिता     ➡  कालिदास
  • विधा         ➡   खण्डकाव्य 
  • उपजीव्य    ➡   ब्रह्मवैवर्त पुराण
  • विभाग       ➡   खण्डों में
  • खण्ड.        ➡  दो खंड
  • वर्णन         ➡  यक्ष- यक्षिणी का विरह


कुमारसंभव का परिचय

कुमारसंभव कविकुलगुरू कालिदास के महाकाव्य ग्रंथों में से अन्यतम ग्रंथ है। इस कुमारसंभव नामक महाकाव्य में कुल 17 सर्ग हैं कहा जाता है कि कुमारसंभव में पहले के आठ सर्ग ही कालिदास के द्वारा रचे गए थे। तत्पश्चात इससे आगे की सर्ग किसी अन्य परवर्ती कवि के द्वारा रचे गए ऐसा विद्वानों का मत है संस्कृत साहित्य जगत में कुमारसंभव नामक महाकाव्य ग्रंथ कविकुलगुरू कालिदास को एक विशिष्ट पहचान दिलाता है। कुमार का अर्थ है- कार्तिकेय। संभव अर्थात- उत्पत्ति। इस महाकाव्य में कार्तिकेय जन्म तथा तारकासुर संहार का वर्णन मिलता है। इसी कारण इसका नाम कुमार संभव है। कुमार संभव से संबंधित परीक्षा उपयोगी महत्वपूर्ण तथ्य निम्नलिखित हैं।

                      कुमारसम्भव
  • ग्रन्थ        ➡  महाकाव्य
  • रचयिता    ➡  कालिदास
  • विधा        ➡  महाकाव्य
  • विभाग      ➡  सर्गों में
  • सर्ग          ➡  17 सर्ग 
  • वर्णन        ➡  तारकासुरसंहार
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