मित्रों कैंसे हैं आप लोग !? आपकी तैयारी कैंसी चल रही है? उम्मीद करते हैं कि आप UGC NET परीक्षा की अच्छी तैयारी कर रहे होंगे। प्यारे मित्रों, आपकी तैयारी को और अधिक बेहतर बनाने के लिए हम आज आपके लिए- UGC NET SANSKRIT FREE MOCK TEST लेकर आए। प्यारे मित्रों, UGC NET SANSKRIT MOCK TEST के साथ-साथ UGC NET SANSKRIT NOTES भी लेकर के आए हैं। संस्कृत साहित्य का इतिहास (SANSKRIT SAHITYA KE ITIHAS) इस विषय पर परीक्षादृष्टि से बेहतरीन मॉक टेस्ट साथ ही यूजीसीनेट संस्कृत परीक्षा एवं अन्य विविध संस्कृत परीक्षाओं हेतु साहित्यदर्पण के महत्वपूर्ण नोट्स तथ्य आपके लिए प्रस्तुत है। आप सभी अपना आकलन करें और अपनी सफलता में चार चाँद लगाएँ।
इस लेख में
- UGC NET SANSKRIT MOCK TEST
- UGC NET SANSKRIT NOTES MATERIAL
- साहित्यदर्पण नोट्स सामग्री
- Sahitya Darpan Study Materials
- संस्कृत साहित्य- रसों का विवेचन
UGC NET SANSKRIT MOCK TEST
आज का विषय ➡ प्यारे मित्रों! आज हम आपके लिए! संस्कृत विषय के UGC NET SANSKRIT FREE MOCK TEST के अन्तर्गत 2014 के महत्त्वपूर्ण प्रश्न लेकर आए हैं ! जी हां! आज की प्रतियोगिता UGC NET SANSKRIT के पुराने प्रश्न पत्र पर आधारित है।
बस आपसे एक अभ्यर्थना/निवेदन है कि ----
आपके कितने नम्बर आए! नीचे कमेंट करके बताना!!!
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आपको प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 20 सेकण्ड के अन्दर देना है।
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चलिए! प्रतियोगिता के अतिरिक्त थोडा और तैयारी कर लीजिए! यंहा हम थोड़ा- संस्कृत साहित्य की चर्चा करने वाले हैं तो आइये ! स्वागतमत्र भवतां समेषाम्!
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UGC NET SANSKRIT NOTES MATERIAL ➡
आज हम आपके लिए महत्वपूर्ण UGC NET SANSKRIT NOTES लेकर उपस्थित हैं! संस्कृत साहित्य के अन्तर्गत काव्यग्रंथों से बहुधा प्रश्न पूछे जाते हैं ! प्रस्तुत है - UGC NET SANSKRIT NOTES MATERIAL SANSKRIT SAHITYA (साहित्यदर्पण)
UGC NET SANSKRIT STUDY MATERIAL
प्यारे मित्रों यहां दिया गया यह विषय यूजीसी नेट संस्कृत परीक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यूजीसी नेट परीक्षा में इन विषयों से हर बार परीक्षा में अनेक प्रश्न पूछे जाते हैं। विशेष रुप से संस्कृत साहित्य के अंतर्गत साहित्य दर्पण एवं काव्यप्रकाश इन दोनों विषयों से प्रत्येक संस्कृत परीक्षा में प्रश्न पूछे जाते हैं। यहां हम उन सभी संस्कृत परीक्षाओं को ध्यान में रखते हुए विशेष रुप से यूजीसी नेट संस्कृत के लिए संस्कृत साहित्य के महत्वपूर्ण तथ्य प्रस्तुत कर रहे हैं। रस कितने प्रकार के होते हैं? रस किसे कहते हैं? इत्यादि विषयों का प्रस्तुतीकरण
साहित्यदर्पण नोट्स सामग्री
संस्कृत साहित्य में रस तथा रसों के देवता आदि।
{ रस ,स्थायी भाव एवं उनके देवता }
रस स्थायीभाव देवता
- शृंगार रति विष्णु
- हास्य हास प्रमथ
- करुण शोक यम
- रौद्र क्रोध रुद्र
- वीर उत्साह महेन्द्र
- भयानक भय यम
- वीभत्स जुगुप्सा महाकाल
- अद्भुत विस्मय गन्धर्व
- शान्त शम श्रीनारायण
साहित्यदर्पण में विभिन्न आचार्यों के काव्यलक्षण
आचार्य विश्वनाथ ने काव्य की परिभाषा निम्नप्रकार से प्रस्तुत की है।
{ काव्य लक्षण - विभिन आचार्य }
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- विश्वनाथ - "वाक्यं रसात्मकं काव्यम्"
- मम्मट - "तददोषौ शब्दार्थौ सगुणावनलंकृती पुनः क्वापि"
- भामह - "शब्दार्थौ सहितौ काव्यम्"
- रुद्रट - " शब्दार्थौ काव्यम्"
- आनन्दवर्धन - "काव्यस्यात्मा ध्वनिः"
- जगन्नाथ - "रमणीयार्थप्रतिपादकः शब्दः काव्यम्"
- दण्डी - " शरीरं तावत् इष्टार्थव्यवच्छिन्ना पदावली"
- अग्निपुराण- " इष्टार्थव्यवच्छिन्ना पदावली । काव्यं स्फुरदलंकारं गुणदोषविवर्जितम्।"
- कुन्तक - " शब्दार्थौ सहितौ वक्रकविव्यापारशालिनि। बन्धे व्यस्थितौ काव्यं तद्विदाह्लादकारिणी।"
- जयदेव - निर्दोषा लक्षणवती सरीतिर्गुणभूषणा। रसान्वितं कविः कुर्वन् कीर्तिं प्रीतिं च विन्दति।
- भोजराज - निर्दोषं गुणवत्काव्यमलंकारैरलंकृतम्। रसान्वितं कविः कुर्वन् कीर्तिं प्रीतिं च विन्दति।
साहित्यदर्पण के अनुसार (विश्वनाथ)
{ काव्य - प्रयोजन }
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धर्मार्थकाममोक्षाणां वैचक्षण्यं कलासु च।
करोति प्रीतिं कीर्तिञ्च साधुकाव्यनिषेवणम्।।
अर्थात धर्म अर्थ काम मोक्ष यह चार पुरुषार्थ ही कविराज विश्वनाथ के मत में काव्य की प्रयोजन रूप में स्पष्ट किए गए हैं। उपरोक्त यहां श्लोक विश्वनाथ विरचित साहित्य दर्पण में प्रस्तुत किया गया है। परीक्षा दृष्टि से आचार्य मम्मट का काव्य प्रयोजन भी साहित्य दर्पण के साथ प्रासंगिक है।
आचार्य मम्मट ➡ काव्यप्रयोजन
काव्यं यशसेsर्थकृते व्यवहारविदे शिवेतरक्षये।
सद्यः परनिवृत्तये कान्तासम्मितयोपदेशयुजे।। (काव्यप्रकाश)
मम्मट ने काव्य के ६ प्रयोजन बताए ➡
१) यश के लिए २) अर्थ/धन के लिए
३) व्यवहार के लिए ४) पापों को दूर करने हेतु
५) परनिवृत्ति हेतु ६) गृहिणीवत् उपदेश के लिए
उपरोक्त काव्य के प्रयोजन कहे गये हैं। इसी प्रकार से काव्य के भेदों की जब हम चर्चा करते हैं, तो काव्य के तीन भेद मुख्य माने जाते हैं। ये भेदा गुणों के अनुसार हैं।
काव्य के तीन भेद ➡ १) उत्तम
२) मध्यम
३) अवर
उत्तमकाव्य ➡ ध्वनिकाव्य भी कहते हैं। इदमुत्तमशायिनि व्यङ्ये वाच्याद् ध्वनिर्बुधैः कथितः। जहाँ वाच्यार्थ की अपेक्षा व्यंग्यार्थ चमत्कार जन्य हो , उत्तम काव्य कहलाता है।
मध्यमकाव्य ➡ गुणीभूतव्यंग्य भी कहते हैं। अतादृशि गुणीभूतव्यंग्यं व्यंग्ये तु मध्यमम्।
अवरकाव्य ➡ चित्रकाव्य भी कहते हैं। शब्दचित्रं वाच्यचित्रमव्यंग्यं त्ववरं स्मृतम्।
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इसके अतिरिक्त भी काव्य के अलग-अलग प्रकार से भेद बताए जाते हैं जैसे कि काव्य की दो भेद अत्यंत प्रसिद्ध हैं- दृश्य काव्य एवं श्रव्य काव्य प्यारे मित्रों अब हम बात करते हैं- शब्दों के भेद की।
{ शब्द के तीन भेद }
शब्द तीन प्रकार के होते हैं।
- वाचकः
- लाक्षणिकः
- व्यंजकः
शब्द के अर्थ - तीन प्रकार
- वाच्यार्थ
- लक्ष्यार्थ
- व्यंग्यार्थ
- अभिधा
- लक्षणा
- व्यंजना
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{ रस निरुपण प्रसंग में चार वाद }
- भट्टलोल्लट ➡ उत्पत्तिवाद
- श्रीशंकु ➡ अनुमितिवाद
- भट्टनायक ➡ भुक्तिवाद
- अभिनवगुप्त ➡ अभिव्यक्ति वाद
नोट ➡ उपरोक्त इन चारों आचार्यों ने रस के विषय में अपना अपना मत स्थापित किया है। इन चारों आचार्यों ने - "भरतमुनि" के रससूत्र ➡ "विभावानुभावव्यभिचारिसंयोगाद्रसनिष्पत्तिः"
इस रससूत्र पर अपने- अपने मत स्थापित किये हैं । जो कि UGC NET SANSKRIT की परीक्षा में अक्सर पूछे जाते हैं।
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{ साहित्यदर्पण }
यंहा हम साहित्य दर्पण के परिच्छेदों का परिचय करा रहे हैं, जो कि विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाते हैं? साहित्य दर्पण में कितने परिच्छेद हैं दर्पण किसकी रचना है? विश्वनाथ कौन थे इत्यादि विभिन्न प्रश्न परीक्षा में प्रायः पूछे जाते हैं? इन सभी प्रश्नों की चर्चा अब हम यहां करते हैं। सबसे पहली बात साहित्य दर्पण एक लाक्षणिक ग्रंथ है। दर्पण विश्वनाथ की रचना है। साहित्य दर्पण में कुल 10 परीक्षित हैं। यह आप नीचे अच्छे ढंग से समझ सकते हैं।
- विषय ➡ साहित्य दर्पण
- लेखक ➡ विश्वनाथ
- जन्म ➡ उत्कलप्रदेश
- पिता ➡ चन्द्रशेखर
- परिच्छेद ➡ दश / १०
साहित्यदर्पण में कितने परिच्छेद हैं?
प्यारे मित्रों, साहित्य दर्पण में कुल 10 परिच्छेद हैं, एवं इन 10 परिच्छेदों के अंतर्गत विभिन्न विषयों का उल्लेख मिलता है। किस परिच्छेद का क्या विषय है? परीक्षा में इस प्रकार के बहुत प्रश्न पूछे जाते हैं। प्रत्येक परिच्छेद का विषय नीचे दिया गया है आप इसका लाभ लेवे एवं अपने मित्रों तक जरूर- जरूर शेयर करें।
{ परिच्छेदों का परिचय }
- प्रथमपरिच्छेद - काव्यलक्षण, काव्यप्रयोजन, काव्यभेद।
- द्वितीयपरिच्छेद - वाक्यपदलक्षण, वृत्तिविवेचन।
- तृतीयपरिच्छेद - रस, भाव, नायकनायिकाभेद वर्णन।
- चतुर्थपरिच्छेद - ध्वनिकाव्य, गुणीभूतव्यंग्य वर्णन।
- पंचमपरिच्छेद - व्यंजनावृत्ति स्थापन।
- षष्ठपरिच्छेद - नाटक का विवेचन।
- सप्तमपरिच्छेद - काव्यदोष वर्णन ।
- अष्टमपरिच्छेद - गुणों का निरूपण।
- नवमपरिच्छेद - वैदर्भी आदि चार रीति वर्णन ।
- दशमपरिच्छेद - शब्द, अर्थ - अलंकार विवेचन ।
मित्रों! यह परीक्षाओं की दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण है। विशेष रूप से UGC NET SANSKRIT के लिए यह अत्यन्त महत्वपूर्ण विषय है। आज के इस विषय में UGC NET SANSKRIT FREE MOCK TEST तथा UGC NET SANSKRIT NOTES (साहित्यदर्पण) आपके लिए प्रस्तुत किया गया। हमें उम्मीद है कि आपने अपना आकलन जरूर किया होगा। मित्रों यदि आप UGC NET SANSKRIT की तैयारी कर रहे हैं। तो आप हमारी इस वेबसाइट से विभिन्न प्रकार के UGC NET SANSKRIT FREE NOTES प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए आप हमारी इस वेबसाइट के मेनूबार में जाएँ।
प्यारे मित्रों, UGC NET SANSKRIT में सफलता प्राप्त करने के लिए आप निम्न विषयों को भी जरूर देखें।👇👇
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ReplyDeleteधन्यवादः महोदयः 🙏🙏।नोटस् सम्यक् अस्ति। भवान् कृपया भाषाविज्ञानविषये किंचित् नोटस् ददातु।
Delete8 प्रश्न सही थे
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