नमस्कारः सर्वेभ्यः💥
मित्रों कैंसे हैं आप सभी लोग!? मुझे उम्मीद है कि आप सब अच्छे होंगे। मित्रों , आज हम आपके लिए Ugc net Sanskrit 2020 25 कोड के पाठ्यक्रमानुसार महाभाष्य का सारांश एवं प्रश्नोत्तरी प्रस्तुत कर रहे हैं।

महाभाष्य
Book- first part explanation
।।अथ शब्दानुशासनम्।।
अथ - यह शब्द अधिकारार्थक है। अर्थात् यंहा से शब्दों का अधिकार चलेगा - जैंसे कि ➡
अथ इत्ययं शब्दः अधिकारार्थः प्रयुज्यते। शब्दानुशासनं नाम शास्त्रम् अधिकृतं वेदितव्यम्।
आक्षेप ➡ किन शब्दों का? (केषां शब्दानाम् ?)
समाधान ➡ लौकिक तथा वैदिक शब्दों का। लौकिकानां वैदिकानां च। लौकिक शब्द जैंसे - गाय , अश्व , पुरुष , हाथी आदि।
वैदिक शब्द जैंसे ➡ वेदों के मंत्र - अग्निमीले पुरोहितम् आदि।
लौकिकास्तावत् गौरश्वः पुरुषो हस्ती शकुनिर्मृगो ब्राह्मण इति। वैदिकाः खल्वपि - शं नो देवीरभीष्टये। इषे त्वोर्जे वा। अग्निमीले पुरोहितम्। अग्न आयाहि वीतये।
आक्षेप ➡ अब यह प्रश्न है कि गौ कहने से इसमें शब्द क्या है? अथ गौरित्यत्र कः शब्दः ?
क्या जो उसकी - पूंछ, खुर,सींग आदि शब्द हैं!?
किं यत्तत्सास्ना-लांगूलककुदखुर विषाण्यर्थरूपं स शब्दः?
उत्तर ➡ नहीं वह शब्द नहीं है। वह तो द्रव्य है। नेत्याह । द्रव्यं नाम तत्।
आक्षेप ➡ तो क्या , जो गाय का चलना , हिलना आदि है वह शब्द है? यत्तर्हि तदङ्गितं चेष्टितं निमिषतमिति स शब्दः ?
नहीं , वह तो क्रिया है। नेत्याह । क्रिया नाम सा ।
आक्षेप ➡ तो क्या, जो गाय में अलग -अलग रंग हैं - काली गाय, सफेद गाय, लाल गाय आदि, वह शब्द है? यत्तर्हि तच्छुक्लो नीलः कपिलः कपोतः इति स शब्दः ?
समाधान ➡ नहीं, वह तो उसक गुण है। नेत्याह, गुणो नाम सः।
आक्षेप ➡ तो जो, गाय में एक दूसरी गाय से भिन्नता है। क्या वह शब्द है? यत्तर्हि तद्भिन्नेष्वभिन्नं छिन्नेष्वच्छिनं सामान्यभूतं स शब्दः ?
समाधान ➡ नहीं , वह तो उसकी जाति है। नेत्याह । आकृतिर्नाम सा।
प्रश्न ➡ तो फिर शब्द क्या है? कस्तर्हि शब्दः ??
समाधान ➡ जिसके उच्चारण करने से हमें , गाय के खुर, सींग, पूँछ, आदि सबका ज्ञान एवं स्मरण हो जाए , वह शब्द है।
येनोच्चारितेन सास्नालांगूलककुदखुरविषाणिनां सम्प्रत्ययो भवति स शब्दः ।
अथवा ➡ अथवा जिसके उच्चारण से किसी पद के अर्थ की प्रतीति हो जाए ,वही शब्द है।
प्रतीतपदार्थको लोके ध्वनिः शब्दः इत्युच्यते। तद्यथा- शब्दं कुरु , शब्दं मा कार्षीः।
शब्दकार्ययं माणवकः ध्वनिं कुर्वन्नेवमुच्यते।तस्माद् ध्वनिः शब्दः।

आक्षेप ➡ अब यह बताइये कि शब्दानुशासन का प्रयोजन क्या है? कानि पुनः शब्दानुशासनस्य प्रयोजनानि ?
उत्तरं- रक्षा - उह - आगम - लघु - असन्देह। ये पांच शब्दानुशासन के प्रयोजन हैं। रक्षोहागमलघ्वसन्देहाः प्रयोजनम्।
रक्षा ➡ रक्षा अर्थात् वेदों की रक्षा के लिए हमें व्याकरण पढना चाहिए, जिससे हम वेदों की सही ढंग से रक्षा कर सकें।
रक्षार्थं वेदानामध्येयं व्याकरणम्। लोपागमवर्णविकारज्ञो हि सम्यग्वेदान् परिपालयिष्यतीति।
उह ➡ अर्थात् उह का अर्थ है कल्पना। जब हम पूजन - यज्ञ आदि कार्य करते हैं तो हमे वेद-मंत्रो की सहायता ही लेनी पड़ती है। और वेदों में मन्त्र सभी विभक्तियों और लिंग-वचनादि के साथ नहीं कहे गये अतः हमें एक सही कल्पना करके मंत्रो का प्रयोग करना अभीष्ट है, जिसके लिए हमें व्याकरण पढ़ना चाहिए।
उहः खल्वपि - न सर्वैर्लिङ्गैर्न च सर्वाभिर्विभक्तिभिः वेदे मन्त्राः निगदिताः। ते चावश्यं यज्ञगतेन पुरुषेण यथायथं विपरिणमयितव्याः। तान्न अवैयाकरणः शक्नोति यथायथं विपरिणमयितुम्। तस्माद् अध्येयं व्याकरणम्।
आगम ➡ आगम अर्थात् वेद। ब्राह्मण को जन्म से ही एक कर्तव्य धारण करना जरूरी है। वह है। वेद का अध्ययन ।
वेदों का अध्ययन ब्राह्मण का जन्मजात धर्म है। और वेदपुरुष के छः अंग हैं जिनमें व्याकरण प्रधान अंग है। अतः वेद के सभी अंगो में प्रधान अंग व्याकरण का अध्ययन करना चाहिए ।
आगमः खल्वपि- ब्राह्मणेन निष्कारणो धर्मः षडङ्गो वेदोsध्येयो ज्ञेयश्च। प्रधानं च षट्स्वङ्गेषु व्याकरणम्। "प्रधाने च कृतो यत्नः फलवान् भवति।"
लघु ➡ शब्दों को जानने का एकमात्र साधन है। व्याकरण । व्याकरण के बिना हम शब्दों कप नहीं जान सकते अतः हमें व्याकरण पढना चाहिए ।
लघु - लघ्वर्थं चाध्येयं व्याकरणम्। न चान्तरेण व्याकरणं लघुनोपायेन शब्दाः शक्याः ज्ञातुम्।
असंदेह ➡ हमें यज्ञ आदि करते समय मंत्रों में कंही सन्देह न हो अतः हमें व्याकरण पढना चाहिए । यज्ञ करते समय याज्ञिक लोग एक वाक्य का प्रयोग करते हैं - स्थूलपृषतीम् आग्निवारुणीम् अनड्वाहीम् आलभेत इति।
यंहा - "स्थूलपृषती" इस शब्द में सन्देह होता है। अर्थात् स्थूलपृषती इस शब्द को लेकर लोगों में संदेह होता है। अतः हमें इस प्रकार का कोई सन्देह न हो इसलिए हमें व्याकरण पढना चाहिए ।
असंदेहार्थं चाध्येयं व्याकरणम्। याज्ञिकाः पठन्ति- स्थूलपृषतीम् आग्निवारुणीम् अनड्वाहीम् आलभेत इति।
तस्यां सन्देहः- स्थूला चासौ पृषती च। स्थूलपृषती। स्थूलानि पृषन्ति यस्याः सेयं स्थूलपृषतीति। तां न अवैयाकरणः स्वरतोsध्यवसति - यदि पूर्वपदप्रकृतिस्वरत्वं ततो बहुव्रीहिः। अथ समासान्तोदातत्त्वं तत्पुरुष इति।
प्रश्नोत्तरी (Questions-Answers)
प्रश्न - महाभाष्य के रचयिता कौन हैं?
उत्तर - पतंजलि।
प्रश्न - महाभाष्य में कितने आह्निक हैं?
उत्तर - ८४ ।
प्रश्न - महाभाष्य में कितने पाद हैं?
उत्तर - ३२ ।
प्रश्न - महाभाष्य में कितने अध्याय हैं?
उत्तर - ८ आठ।
प्रश्न - महाभाष्य में अष्टाध्यायी के कितने सूत्रों पर भाष्य लिखा गया है?
उत्तर - १७०० सूत्रों पर।
प्रश्न - महाभाष्य में किस शैली का प्रयोग किया गया है?
उत्तर - प्रश्नोत्तर शैली का।
प्रश्न - पंतजलि को किसका अवतार माना जाता है?
उत्तर - शेषावतार।
प्रश्न - महाभाष्य में ऐंसा कौन सा आह्निक है, जिसमें अष्टाध्यायी के एक भी सूत्र पर भाष्य नहीं है?
उत्तर - प्रथमाह्निक।
प्रश्न - पस्पशाह्निक शब्द में पस्पश शब्द का क्या अर्थ है?
उत्तर - प्रस्तावना ।
प्रश्न - आह्निक शब्द से क्या तात्पर्य है?
उत्तर - एक दिन में पढा जाने वाला। अह्ना निवृत्तमिति आह्निकम्।
प्रश्न - पस्पशाह्निक में प्रारंभिक अथ शब्द किस अर्थ में है?
उत्तर - अधिकार अर्थ में ।
प्रश्न - शब्दानुशासन किसे कहते हैं?
उत्तर - व्याकरण को।
प्रश्न - महाभाष्य में किन शब्दों की चर्चा की गयी?
उत्तर - लौकिक व वैदिक।
प्रश्न - लौकिक शब्द के उदहारण क्या क्या हैं?
उत्तर - गौ, अश्वः, पुरुष, हस्ती, शकुनिः,मृग, ब्राह्मण।
प्रश्न - पंतजलि अनुसार शब्द किसे कहते हैं?
उत्तर - प्रतीतपदार्थको लोके ध्वनिः शब्दः ।
प्रश्न - गौः इसमें शब्द क्या है?
उत्तर - येन्नोचारितेन सास्नालांगूलककुदखुरविषाणिनां सम्प्रत्ययो भवति स शब्दः ।
प्रश्न - गाय में जो उसका रंग - काला, सफेद आदि है वह क्या है?
उत्तर - गुण।
प्रश्न - शब्दानुशासन के मुख्य कितने प्रयोजन हैं?
उत्तर - पांच ५
प्रश्न - "ब्राह्मणेन निष्कारणो धर्मः षडङ्गो वेदोsध्येयो ज्ञेयश्च" यह उक्ति किस प्रयोजन में कही गयी?
उत्तर - आगम प्रयोजन में ।
प्रश्न - उह प्रयोजन से क्या तात्पर्य है?
उत्तर - सुष्ठु कल्पना।
उपसंहार Conclusion:
मित्रों, महाभाष्य Ugc net Sanskrit 2020 25 code के पाठ्यक्रम में लगा हुआ है। अतः आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए। महाभाष्य को पढ़ने में अत्यन्त आनन्द आता है। अतः इसे जरूर पढ़ें!
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।।धन्यवादः।।
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